पिछले 27 सालों से लटका महिला आरक्षण बिल मंगलवार (19 सितंबर) को लोकसभा में पेश कर दिया गया. सरकार ने इसे 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' बिल के तौर पर पेश किया. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसके बारे में बताया. मुम्किन है कि यह बिल लोकसभा में पारित हो जाए, इसकी वजह यह है कि सदन में सरकार के पास बहुमत है और कई अपोजिशन पार्टियां विधेयक के सपोर्ट में हैं.


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महिला आरक्षण विधेयक पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा, "यह अपना (विधेयक) है." बिहार की पूर्व CM राबड़ी देवी ने X पर लिखा, "महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित, खेतिहर और मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हों. मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है. अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही तालीम हासिल कर रही है, इसलिए इनका रिजर्वेशन के अंदर आरक्षण होना जरूरी है."


आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने कहा, "आम आदमी पार्टी ने इस बिल का स्वागत किया है...विधेयक के प्रावधान 2024 में लागू नहीं होंगे. बीजेपी को महिलाओं के भले में कोई दिलचस्पी नहीं." AAP लीडर आतिशी ने कहा, "यह महिला रिजर्वेशन बिल नहीं, बल्कि महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला बिल है."


समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने X पर लिखा, "महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की औरतों का रिजर्वेशन निश्चित प्रतिशत रूप में साफ होना चाहिए."


समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा, "मैं महिला हूं और मैं इस बिल का समर्थन करती हूं, लेकिन हम चाहते हैं कि जो आखिरी पंक्ति में खड़ी हुई महिला है, उसको भी उसका हक मिलना चाहिए. हम चाहते हैं कि इसमें ओबीसी औरतों को भी आरक्षण मिले..."


पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर लिखा, "पुरुष राजनीतिक परिदृश्य के कठिन क्षेत्र को खुद पार करने के बाद मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि आखिरकार महिला आरक्षण बिल हकीकत बन जाएगा. आधी आबादी होने के बावजूद हमारी कयादत बेहद कम है. यह एक बेहतरीन कदम है."


बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने कहा "वैसे देश की औरतों को लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में रिजर्वेशन 33 प्रतिशत देने की बजाय अगर उनकी आबाधी को भी ध्यान में रखकर 50 प्रतिशत दिया जाता तो इसका हमारी पार्टी पूरे तहे दिल से स्वागत करेगी, जिसके बारे में सरकार को जरूर सोच-विचार करना चाहिए."


AIMIM प्रमुख और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "96 में जब इस तरह का एक बिल बनाया गया था और फिर मनमोहन साहब की सरकार में बिल इंट्रोड्यूज हुआ था, उस वक्त से हमारी पार्टी का रुख एक ही है, हम खवातीन और महिलाओं के पॉलिटिकल एंपावरमेंट के खिलाफ नहीं हैं, मगर जब आप एक कानून बना रहे हैं, जिसके जरिये से हमारी आबादी के उस हिस्से को आप राजनीतिक प्रतिनिधित्व देना चाह रहे हैं असेंबली और पार्लियामेंट में तो यह बहुत जरूरी है, इंसाफ का तकाजा यह है कि ओबीसी महिलाओं को और मुस्लिम महिलाओं को उस कोटा में हिस्सा मिलना चाहिए, जो आज नहीं हुआ है..."