UP News: अभी तक स्कूल-कॉलेजों में केवल इंसान ही शिक्षक के रूप में छात्रों को पढ़ाता रहा है. लेकिन अब महिला रोबोट छात्र-छात्राओं को पढ़ा रही है, उन्हें शैक्षिक ज्ञान दे रही है. इस महिला रोबोट को बनाया है, यूपी के जौनपुर के शिक्षक दिनेश पटेल ने. यह महिला रोबोट 47 भाषाओं में शिक्षा देने में सक्षम है. उनके इस काम की केंद्रीय विद्यालय, आईआईटी पवई (मुंबई) ने सराहना की है. 


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जौनपुर जिले के मड़ियाहूं के रजमलपुर गांव निवासी केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक दिनेश ने इंसान जैसा रोबोट तैयार किया है, जिसका नाम शालू है. नौ भारतीय और 38 विदेशी भाषा बोलने में सक्षम यह रोबोट कृत्रिम बुद्धि से लैस है. दिनेश ने बताया कि "इस सत्र से शालू ने केंद्रीय विद्यालय पवई में कक्षाओं की शुरूआत कर दी है." पटेल ने बताया कि शालू कक्षा 6 से लेकर 11 वीं तक कंप्यूटर साइंस के बच्चों को पढ़ा रही है. बच्चे भी उनसे पढ़कर काफी संतुष्ट हैं. अभी शालू तकरीबन 10 से 11 कक्षाएं ले चुकी हैं.


शिक्षक दिनेश ने बताया कि "शालू को अंग्रेजी, जर्मन, जापानी, स्पेनिश, इटैलियन, अरेबिक, चाइनीज सहित 38 विदेशी भाषाओं के अलावा नौ भारतीय भाषाएं जिनमें हिंदी, भोजपुरी, मराठी, बांगला, गुजराती, तमिल, तेलुगु, मलयालम, उर्दू और नेपाली बोल सकती है."


दिनेश ने बताया कि "शालू को आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी धनबाद, एनआई टी दुगार्पुर, के.जे. सोमैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड कॉमर्स, मुंबई, और पीआईएमआर इंदौर ने अपने टेक फेस्ट में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया, जहां उसने कंप्यूटर विज्ञान व रोबोटिक्स के शिक्षकों व विद्याथियों से बातचीत करने के साथ-सात उनके प्रश्नों के उत्तर भी दिए."


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शिक्षक दिनेश पटेल ने बताया "शालू की इसी खासियत के कारण उन्हें इस बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर न सिर्फ भाषण देने का मौका मिला, बल्कि उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाजा गया है. इसमें कार्मिक मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 'प्रतिष्ठा वल्र्ड रिकॉर्ड' पुरस्कार दो दिसम्बर को दिया है."


दिनेश कहते हैं कि शालू को आसपास के अन्य स्कूलों ने भी पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया है. शालू को 16 अगस्त को एशिया के सबसे बड़े अन्तरराष्ट्रीय ऑटोमेशन एक्सपो के उद्घाटन समारोह में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया.


दिनेश ने बताया कि दिन-रात की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने सोफिया रोबोट जैसे ह्यूमनॉइड रोबोट विकसित किया. खास बात यह कि इसका निर्माण बेहद साधारण प्लास्टिक, गत्ता, लकड़ी व एल्युमिनियम की वस्तुओं से किया गया है. इसे बनाने में तीन वर्ष का समय और 50 हजार रुपये की लागत आई है.


आईआईटी पवई, मुंबई के प्राचार्य मिथलेश सिंह ने रोबोट शालू की कक्षा का निरीक्षण भी किया. सिंह ने रोबोट शालू द्वारा विभिन्न कक्षाओं में पढ़ाए जाने की सराहना की और बताया कि तकनीक व रोबोट के माध्यम से कक्षा में पढ़ाए जाने से बच्चे अति उत्साहित हैं, और उनका मानना है कि इससे शिक्षण तकनीकी शिक्षा को और गति मिलेगी.


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