`मुन्ना बाबू` की जिंदगी के गुमनाम किस्से लेकर आ रही है राजकमल प्रकाशन की नई किताब
Biography of Nitish Kumar: लेखक उदय कांत ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बायोग्राफी लिखी है, जिसका 3 जुलाई को पटना में लालू प्रसाद यादव लोकार्पण करेंगे. यह किताब `मुन्ना बाबू` के निजी जीवन की झलक पेश करेगी.
नई दिल्लीः कहा गया है कि राजनीति में न कोई किसी का परमानेंट दोस्त होता है न ही दुश्मन! इस बात का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी सबसे लेटेस्ट और जीता-जगता उदाहरण हैं. कभी लालू प्रसाद यादव के दुश्मन नंबर एक समझे जाने वाले नीतीश कुमार लालू यादव के विरोधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त बन गए थे. फिर नीतीश कुमार ने मोदी से दोस्ती तोड़कर लालू का हाथ थाम लिया.. लालू को छोड़ा फिर मोदी.. मोदी को छोड़ा फिर लालू... यानी लिबास की तरह नीतीश अपने दोस्त और विरोधी बदल लेते हैं.. कई लोगों ने नीतीश के इस रवैये के बाद उन्हें अविश्वासी और काफी घातक बता रहे हैं.. लेकिन नीतीश इन सबकी परवाह किए बिना एक बड़े मिशन पर निकल चुके हैं..
इस बार उनका मिशन है केंद्र की सत्ता में सत्तारूढ़ और अजय समझे जाने वाली भाजपा नीत मोदी सरकार को उखाड़ फेकना.. नीतीश इस काम के लिए देशभर के विपक्षी नेताओं को एकजुट करने का काम कर रहे हैं.. जब नीतीश कुमार ने 18 साल पहले बिहार की सत्ता से लालू को उखाड़ फेकने का संकल्न लिया था, तो उस वक्त भी लोग नीतीश कुमार का मजाक उड़ा रहे थे और आज भी लोग नीतीश कुमार का मजाक उड़ा रहे हैं. इन 18 सालों में कुछ नहीं बदला है, लेकिन नीतीश कुमार के लिए लक्ष्य बदल गए हैं... शुक्रवार को नीतीश कुमार को विपक्षी दलों के बठबंधन को संयोजक नियुक्त किया गया है. नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन के लिए वही काम करेंगे जो पहली एनडीए सरकार में शरद यादव ने किया था..
नीतीश कुमार पिछले 18 सालों से बिहार के मुख्यमंत्री हैं.. उन्हें कुछ लोग प्रधानमंत्री का उम्मीदवार तक बता रहे हैं. यानी जो कल तक मोदी के दोस्त थे वह नरेंद्र मोदी के विरोध में खडे़ हो सकते हैं. यूं तो मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन नीतीश कुमार उनसे पहले से राजनीति में हैं..वह जेपी आंदोलन से पैदा हुए नेता है.. नीतीश का जीवन विविधताओं से भरा हुआ है. समर्थक और विरोधियों में नीतीश को लेकर अलग-अलग राय है. लालू प्रसाद राजनीति के खुद एक मंझे हुए खिलाड़ी हैं, इसके बावजूद वह नीतीश कुमार के बारे में कहते थे कि नीतीश के पेट में दांत है. यानी नीतीश कुमार की चाल को समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है.
अब नीतीश कुमार की जिंदगी पर एक नई किताब आई है, जो उनके जिंदगी के कई राज खोलेगी.. नीतीश के करीबी उन्हें उनके घरेलू नाम 'मुन्ना बाबू' के नाम से पुकारते हैं. इस किताब में उन्हीं दोस्तों की जुबानी और नीतीश की कहानी कही गई है. राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह किताब 'नीतीश कुमारः अंतरंग दोस्तों की नज़र से', 3 जुलाई को लॉन्च की जा रही है. खास बात यह है कि पटना में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव इस पुस्तक का लोकार्पण करेंगे.
लेखक उदय कांत ने नीतीश कुमार के निजी जीवन के कम ज्ञात हिस्सों को सामने लाने के लिए उन करीबी दोस्तों से कहानियाँ जमा की हैं जो 50 वर्षों से ज्यादा वक्त से नीतीश कुमार से जुड़े हुए हैं. किताब के बारे में बात करते हुए, उदय कांत ने कहा, "अक्सर नेताओं की जीवनियां उनकी राजनीतिक यात्राओं के इर्द-गिर्द घूमती हैं, “उनकी सामाजिक परिस्थितियों और उनकी मानसिकता के बारे में बहुत कम खुलासा करती हैं, जिसने उन्हें अपनी वर्तमान स्थिति को हासिल करने के लिए प्रेरित किया हो.’’
उदयकांत ने कहा, "यह एक छोटे शहर से शुरू होती हुई संघर्ष की गलियों से गुजरती हुई कहानी है. यह न सिर्फ नीतीश के संघर्षों की कहानी बताती है, बल्कि उनकी जिंदगी पर भी रौश्नी डालती है. कई कहानियां नीतीश कुमार के व्यक्तिगत, पारिवारिक और राजनीतिक परिवेश को उजागर करती है जो वक्त की धूल से ढक गई थीं." यह किताब आज़ादी के बाद की बिहार की राजनीति का भी लेखा-जोखा पेश करती है.
प्रकाशक का दावा है कि यह जीवनी नीतीश कुमार के जीवन के कई अंतरंग पहलुओं को उजागर करेगी, जो पहले लोगों को नहीं पता थी. यह एक प्रेरणादायक और दिल को छूने वाली जीवनी है.
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