रोजगार का जरिया है महंगी शादियां; देश की इकॉनमी में 38 लाख कुंवारे देंगे पौने चार लाख करोड़ का योगदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात प्रोग्राम में विदेशों में की जाने वाली डेस्टिनेशन वेडिंग पर चिंता जताते हुए लोगों से अपील की थी कि युवा भारत को ही डेस्टीनेशन वेंडिग के लिए चुनें. हर साल भारतीय जितनी बड़ी रकम डेस्टिनेशन वेडिंग के नाम खर्च कर आते हैं, अगर यही पैसा भारत में खर्च हो तो देश की अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा मिल सकता है.प्रधानमंत्री की इस अपील के बाद एक बार फिर से डेस्टिनेशन वेडिंग चर्चा का विषय बन गई है.
भारत में हर साल लाखों लोगों की शादी होती है. डेटा के हिसाब से देखें तो भारत में नवंबर 2023 से लेकर जून तक में करीब 38 लाख शादियां होने वाली है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अनुमान से इन शादियों में करीब पौने चार लाख करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना हैं. हांलाकि, अच्छी बात ये है कि ये सभी शादियां भारत में ही होने वाली है. वैसे तो विदेशों में होने वाली डेस्टिनेशन वेडिंग्स के लिए अभी तक कोई आॉफिशियल सर्वे नहीं हुआ है. इसलिए विदेशों में होने वाली भारतीय शादियों में कितना खर्चा हो चुका है, ये सटीकता के साथ नहीं बताया जा सकता है. लेकिन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स का अनुमान है कि हर साल 5000 भारतीय शादियां, डेस्टिनेशन वेडिंग के नाम पर विदेशों में होती हैं और मोटामोटी इन शादियों का खर्चा 50 हज़ार करोड़ के आस पास का होता है.
क्या कहती है वेडिंग पर CAIT की रिपोर्ट
CAIT की जानिब से जारी एक नई रिपोर्ट के हवाले से बात करें तो, इस सीज़न में 38 लाख शादियों के माध्यम से 4.7 लाख करोड़ रुपये की कमाई होने की उम्मीद है, जो भारत में शादी से होने वाली अब तक की सबसे ज्यादा कमाई होगी. पिछले साल शादियों की संख्या 32 लाख थी जिसपर 3.75 लाख करोड़ रुपये का बिजनस हुआ था. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल कहते हैं कि,''भारत का पैसा देश में ही खर्च हो. इस भावना के अनुरूप अगर देश में डेस्टिनेशन वेडिंग आयोजित की जाएं इससे न सिर्फ भारतीय वैल्यू डेवलप होंगे बल्कि देश के व्यापार और अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा और बड़ी मात्रा में स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के रोजगार बढेंगे.
भारत के फेमस डेस्टिनेशन वेडिंग स्पॉट
वैसे तो अब देश के लगभग हर शहर के बाहर कई ऐसी जगह बन गई हैं, जिसका इस्तेमाल डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए होता है. लेकिन देश के अलग राज्यों में कुछ ऐसी खास जगहें भी हैं, जहां बड़े लेवल पर डेस्टिनेशन वेडिंग होती हैं. इनमें गोवा, महाराष्ट्र में लोनावाला, महाबलेश्वर, मुंबई, शिरडी, नासिक, नागपुर, गुजरात में द्वारिका, अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा, मध्य प्रदेश में ओरछा, ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल, इंदौर, राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, जैसलमेर, पुष्कर, उत्तर प्रदेश में मथुरा, वृंदावन, आगरा, वाराणसी, कानपुर, दक्षिण भारत में चेन्नई, यादगिरी हिल, ऊटी, बंगलौर, हैदराबाद, तिरूपति, कोचीन, त्रिची, कोयंबतूर, पॉण्डिचेरी सहित दिल्ली एनसीआर में दिल्ली, नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, गुड़गांव, मानेसर, बहादुरगढ़, फरीदाबाद तथा पंजाब-हरियाणा में चंडीगढ़, मोहाली, अमृतसर तथा जम्मू शामिल हैं.
भारत के तीन टॉप वेडिंग स्पॉट
अनम जुबैर के अनुसार पिछले साल भारत में टॉप तीन डेस्टिनेशन स्पॉट, उदयपुर, गोवा और जयपुर थे. जबकि इस साल के लिए शीर्ष तीन गंतव्य देहरादून, गोवा और जयपुर होंगे. एक तरफ जहां लोग भारत में डेस्टिनेशन वेडिंग पर 20 लाख रुपये से लेकर कुछ करोड़ रुपये तक खर्च करते हैं, वहीं जब शादी विदेश में होती है तो ये खर्च बढ़ कर करोड़ो तक पहुंच जाता है.
सेलिब्रिटी और डेस्टिनेशन वेडिंग
हाल के कुछ सालों में जहां एक तरफ, विराट कोहली-अनुष्का शर्मा और दीपिका पादुकोण-रणवीर सिंह जैसे सेलिब्रिटी ने अपनी शादी के लिए भारत से बाहर की जगह चुनी तो वहीं दूसरी तरफ कियारा आडवाणी-सिद्धार्थ मल्होत्रा और कैटरीना कैफ-विक्की कौशल जैसे अन्य लोगों ने भारत में डेस्टिनेशन वेडिंग की कियारा आडवाणी-सिद्धार्थ मल्होत्रा की शादी सवाई माधोपुर के फोर्ट बरवारा में हुई, जबकि कैटरीना कैफ-विक्की कौशल ने अपनी शादी के लिए जैसलमेर के सूर्यगढ़ पैलेस को चुना था. इसके अलावा एक ऐसी डेस्टिनेशन वेडिंग जिस पर पूरे देश ने अपनी निगाह बनाई थी वो थी अमेरिका से आने वाली बारात जिसमें दूल्हा थे अमेरिकी गायक निक जोनास और दुल्हन थी बॉलीवुड की देशी गर्ल प्रियंका चोपड़ा. इस जोड़े ने अपनी शादी के लिए जोधपुर के उम्मेद भवन पैलेस को चुना था.
क्या कहना है वेडिंग इडस्ट्री से जुड़े लोगों का
वेडिंगवायर के Director and Marketing Head अनम जुबैर के अनुसार, पिछले कुछ सालों में औसतन शादियों पर खर्च बढ़ा है. ऑनलाइन विवाह विक्रेता निर्देशिका ने 2021 और 2022 के लिए अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें 14.6 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है, जहां खर्च लगभग 10 लाख रुपये से बढ़कर 15 लाख रुपये हो गया. पीटीआई से बात करते हुए, जुबैर ने बताया, "इस साल के खत्म होने के साथ, हमारा अनुमान है कि यह लागत 18 लाख रुपये की औसत लागत के करीब रहेगी. मुद्रास्फीति और वर्तमान आर्थिक स्थिति के साथ, यह वृद्धि नगण्य है, और महामारी के बाद भी यही स्थिति रही है.