Muharram 2023: मुहर्रम में क्यों है `मातम` मनाना इतना खास, जानें इसका महत्व और इतिहास?
Muharram 2023: मातम का मतलब ही है सोग. शिया मुसलमान मोहर्रम से चेहलुम तक मजलिसों के ख़त्म होने पर मातम करते हैं. शहादते इमामे हुसैन के ग़म में अपने हाथों से अपने सीनों को पीटते हैं. मातम के कई तरीक़े होते हैं. दुनिया के अलग अलग शियों में मातम करने के अपने अपने इलाक़ाई अंदाज़ हैं. मातम खड़े हो कर सादा तरीक़े से भी किया जाता है. या फिर अंजुमनों की नौहाख़्वानी पर हलक़ा बना कर मातम होता है. अपनी जगह पर खड़े होकर भी मातम होता है. जुलूसों के रास्तों में चलते हुए भी मातम होता है. ख़्वातीन मजलिसों के फ़र्श पर बैठ कर अपने ज़ानुओ पर भी मातम करती हैं. एक हाथ का भी मातम होता है और दोनो हाथ से भी मातम किया जाता है. आगे जानने के लिए देखें वीडियो...