First Emergency Number: इस समय देश और दुनिया में कई तरह इमरजेंसी नंबर्स चल रहे हैं. इनमें महिलाओं के लिए, एंबुलेंस के लिए या फिर किसी भी ऐसे काम के लिए जहां फौरी तौर पर मदद की जरूरत पड़ती है वहां इमरजेंसी नंबर्स चल रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में इमरजेंसी नंबर्स की शुरुआत कहां से हुई और वो नंबर बना कैसे या फिर कौन सा नंबर था? अगर नहीं जानते हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं. 


दुनिया का पहला इमरजेंसी नंबर


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दुनिया का पहला इमरजेंसी नंबर आज ही के दिन यानी 30 जून को साल 1937 में लंदन में जारी किया गया था. यह नंबर था 999, यह नंबर महिलाओं के लिए जारी किया गया था. जो आज तक भी जारी है. इस नंबर की खासियत है कि ये बगैर सिम कार्ड के चलते हैं और यह एक तकनीकी सुविधा है. इसके अलावा अगर आम तौर पर कॉल करने के लिए सिम कार्ड की जरूरत है. लेकिन इमरजेंसी नंबर्स एक नई तकनीक के तहत चलते हैं.


यह भी देखिए:
Cooking Tips: खाने नमक हो गया है ज्यादा? इन आसान तरीकों से करें कम


कैसे हुई इमरजेंसी नंबर की शुरुआत


1937 में लंदन में पहला इमरजेंसी नंबर जारी हुआ ही. इसके पीछे की वजह थी दो साल पहले यानी 1935 में 5 महिलाओं की मौत. दरअसल 10 नवंबर 1935 को एक घर में आग लग गई थी. जिसमें 5 महिलाओं की मौत हो गई थी. आग लगने के बाद एक पड़ौसी ने फायर ब्रिगेड को फोन लगाने की कोशिश भी थी लेकिन उसे टेलीफोन की लंबी लाइन में खड़े रहना पड़ गया. इस घटना के दो साल बाद इमरजेंसी नंबर 999 जारी किया गया था और इस नंबर के जारी करने के अब कई फायदे भी सामने निकलकर सामने आए हैं. नंबर जारी करने के महज़ 7 दिन बाद यानी 7 जुलाई 1937 को पहली गिरफ्तारी भी हुई थी. इस तरह के फायदे को देखते हुए दुनियाभर में इमरजेंसी नंबर्स चलने लगे. 


ZEE SALAAM LIVE TV