Draupadi Murmu: एनडीए ने मंगलवार की शाम राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. उन्होंने द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. जो एक आदिवासी हैं. उनके सियासी सफर और जिंदगी के बारे में तो आपने काफी पढ़ लिया होगा लेकिन इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आखिर भाजपा ने यह कदम क्यों उठाया है? द्रौपदी मुर्मू अगर राष्ट्रपति बनती हैं तो उससे भाजपा को क्या फायदा होगा?


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भाजपा ने पिछली बार दलित चेहरे को राष्ट्रपति पद के लिए आगे बढ़ाकर देश और दुनिया में ये मैसेज दिया था कि हिंदुस्तान में सब बराबर हैं और सरकार बनने के बाद भाजपा की तरफ से दिए गए "सबका साथ सबका विकास" नारे पर अमल किया. इसके अलावा द्रौपदी मुर्मू की बात करें तो वो एक आदिवासी महिला हैं. मुल्कभर में आदिवासियों की तादाद 12 करोड़ से भी ज्यादा है और इन लोगों की समाज के कई हिस्सों में भागीदारी बहुत कम है. ऐसे में मुर्मू का नाम ऐलान कर भाजपा ने इस समाज के लोगों को लेकर बड़ा पैगाम दिया है. 


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गुजरात चुनाव है बड़ी वजह?
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लगने की एक वजह इसी साल गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं. गुजरात चुनाव इस मामले में इसलिए अहम हैं क्योंकि गुजरात में तकरीबन 15 फीसद वोट आदिवासियों का है. गुजरात का आदिवासी वोट अभी भाजपा के पाले में नहीं है. मतलब यह है कि आदिवासी वोटों का गुजरात विधानसभा की तकरीबन 26 सीटों पर प्रभाव है और इन 26 सीटों में से तकरीबन 16 सीटें अभी भी कांग्रेस के पाले में हैं. ऐसे में भाजपा चाहेगी कि किसी तरह आदिवासी वोट उनकी तरफ खिंच जाए.


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