Maharashtra Political Crisis: सूत्रों ने जानकारी दी है कि महाराष्ट्र की हुकूमत को इस वक्त राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ा रहा है, लेकिन इसके बारे में राकांपा प्रमुख शरद पवार को पहले ही अंदाजा हो गया था.
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Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की राजनीति में आज दिनभर उथल-पुथल रहने वाली है. शिव सेना के एकनाथ शिंदे ने अपनी ही पार्टी और हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और शिवसेना के दूसरे तमाम बागी विधायक एकनाथ शिंदे के हमराह गुजरात से निकलकर गुवाहाटी पहुंच चुके हैं. अब ऐसा माना जा रहा है कि शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र हुकूमत के दिन करीब आ चुके हैं और जल्द ही ये हुकूमत गिरने वाली है.
सूत्रों ने जानकारी दी है कि महाराष्ट्र की हुकूमत को इस वक्त राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ा रहा है, लेकिन इसके बारे में राकांपा प्रमुख शरद पवार को पहले ही अंदाजा हो गया था. उन्होंने उद्धव ठाकरे को शिवसेना और सत्तारूढ़ एमवीए के नेताओं के भीतर "बढ़ती चिंता" के बारे में चेतावनी दी थी और कहा था कि ऐसी ही सूरते हाल रही तो हुकूमत का बरकरार रहना मुश्किल हो सकता है.
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सूत्रों ने कहा, 'शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को कम से कम चार से पांच महीने पहले चेतावनी दी थी और उन्हें अपनी पार्टी के नेताओं और एमवीए के अन्य मंत्रियों से मिलना शुरू करने की सलाह दी थी.'
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यहां तक कि कुछ मौकों पर पवार को भी ठाकरे से मिलने का समय नहीं मिला. जानकारी के मुताबिक, पवार सीएम की अनुपलब्धता से परेशान थे, जो सभी पार्टियों के नेताओं से मिलने के लिए समय नहीं निकाल रहे थे.'
एक दूसरे सूत्र ने कहा कि उद्धव "नियमित रूप से बातचीत नहीं कर रहे थे 'पवार ने उद्धव को शिवसेना, गठबंधन के भीतर बढ़ती चिंता के बारे में चेतावनी दी थी. “एमवीए के कुछ विधायकों ने भी पवार से कहा था कि सीएम उनकी बात नहीं सुन रहे हैं और उद्धव से बात करना मुश्किल हो रहा है. वे सरकार में अलग-थलग और अवांछित महसूस करते कर रहे हैं.'
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हालांकि वहीं एक शिवसेना नेता का कहना है कि सीएम को विधायकों में इस तरह की किसी नाराजगी की जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि ठाकरे लगातार बैठकें कर रहे थे और विधायकों और मंत्रियों से लगातार संवाद कर रहे थे. अगर कहीं भी कोई मसला पेश आता तो सीएम उसे हल करने के लिए फौरन आदेश जारी करते.
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