Har Har Shambhu Singer Farmani Naaz: इंडियन आइडियल फेम मुजफ्फरनगर की रहने वाली फरमानी नाज इन दिनों खूब ट्रोल हो रही हैं. क्योंकि उन्होंने शिव भक्तों के लिए भजन "हर हर शंभू" गाया है. हर-हर शंभू कांवड़ यात्रा के दौरान खूब वायरल हो रहा है. इस भजन को इतना पसंद किया जा रहा है कि लोगों ने मोबाइल की रिंगटोन तक में इसको सेट कर लिया है. खैर हम इससे अलग यानी फरमानी नाज़ की ट्रोलिंग पर बात करते हैं. क्योंकि फरमानी के इस भजन को गाने पर कुछ लोगों ने ऐतराज़ जताया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

देवबंदी आलिम मुफ्ती असद कासमी ने फरमानी के गाने पर ऐतराज़ जाहिर करते हुए कहा कि यह शरीयत के खिलाफ है. हालांकि असद कासमी ने खास तौर पर हर-हर शंभू गाने को लेकर यह बयान नहीं दिया, बल्कि उन्होंने कहा है कि इस्लाम में किसी भी तरह के नाच-गाने को इजाज़त नहीं है. ये इस्लाम में नाजायज-हराम है. 


यह भी देखिए:
बेहद संघर्षों से भरा रहा है फरमानी नाज का जीवन; आशु बच्चन ने उनकी कला को दी पहचान


लेकिन यह पहली बार नहीं है जब किसी मुस्लिम ने भजन गाया हो या फिर हिंदू धर्म के गानों को अपनी आवाज दी है. जब इस तरह के सिंगर्स की तलाश की जाती है तो सबसे पहले शहनशाह-ए-तरन्नुम मोहम्मद रफी का नाम ज़हन में आता है. उन्होंने अनगिनत भजन गए हैं, जो अपने वक्त बहुत मकबूल भी हुए हैं. ना सिर्फ गाने वाले मुस्लिम हैं बल्कि, लिखने वाले, कंपोज़ करने वाले यहां तक कि जिन पर फिल्माया जा रहा है वो भी मुस्लिम हैं. 


सबसे पहले बात करते हैं साल 1954 में आई फिल्म बैजू बावरा की. यह फिल्म हिंदुस्तान के मशहूर ध्रुपदगायक बैजनाथ प्रसाद की जिंदगी पर आधारित. बैजनाथ प्रसाद या बैजनाथ मिश्र ग्वालियर के राजा मानसिंह के गायक थे. विजय भट्ट के ज़रिए डायरेक्ट की इस फिल्म के अहम किरदार भारत भूषण और मीना कुमारी हैं. इस फिल्म का एक मशहूर भजन आज भी बहुत से लोगों की पसंदीदा लिस्ट में शामिल है. भजन कुछ इस प्रकार है. 
मन तड़पत हरि दर्शन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
विनती करत हूँ रखियो लाज
मन तड़पत हरि...


यह भी देखिए:
'हर-हर शंभू' गाकर विवादों में घिरीं मुस्लिम गायिका, आलिम ने बताया शरीयत के खिलाफ कदम


देखिए भजन, मन तड़पत हरि दर्शन को आज



इस भजन का जिक्र हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इस भजन को लिखने वाले, गाने वाले और कंपोज़ करने वाले तीनो ही मुसलमान थे. जी हां आपने बिल्कुल सही पढ़ा. इस भजन को लिखने वाले शायर का नाम शकील बदायूंनी है, गाने वाले का नाम मोहम्मद रफी है और इसको संगीत देने वाले का नाम नौशाद है. 


हालांकि इस तरह की अनगिनत मिसाल मिल जाएंगी लेकिन हम एक और उदाहरण आपके सामने रखते हैं. साल 1960 में आई फिल्म कोहिनूर का एक भजन "मधुबन में राधिका नाचे रे" की बात करते हैं. इस भजन को लिखने वाले शायर का नाम भी शकील बदायूंनी है, गाने वाले का नाम मोहम्मद रफी है, संगीत देने वाले का नाम नौशाद है और यहां तक कि जिसपर फिल्माया गया उस एक्टर का नाम दिलीप कुमार है. जिनका असली नाम मुहम्मद यूसुफ़ ख़ान है. 


देखिए, मधुबन में राधिका नाचे रे



Farmani Naaz Har Har Shambhu: फरमानी नाज के मुंह से सुनिए उनकी जिंदगी के दुख