एक दिन देखने को आ जाते, ये हवस उम्र भर नहीं होती

Siraj Mahi
Sep 04, 2024

हुस्न सब को ख़ुदा नहीं देता, हर किसी की नज़र नहीं होती

रात आ कर गुज़र भी जाती है, इक हमारी सहर नहीं होती

हम घूम चुके बस्ती बन में, इक आस की फाँस लिए मन में

हम भूल सके हैं न तुझे भूल सकेंगे, तू याद रहेगा हमें हाँ याद रहेगा

अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले, दश्त पड़ता है मियाँ इश्क़ में घर से पहले

इक साल गया इक साल नया है आने को, पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को

कूचे को तेरे छोड़ कर जोगी ही बन जाएँ मगर, जंगल तिरे पर्बत तिरे बस्ती तिरी सहरा तिरा

इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटीं महफ़िलें, हर शख़्स तेरा नाम ले हर शख़्स दीवाना तिरा

VIEW ALL

Read Next Story