क्या है बांग्लादेश का 56 फीसद रिजर्वेशन मामला? हिंसक प्रदर्शनों में 7 लोगों की मौत
Bangladesh News: बांग्लादेश में इन दिनों रिजर्वेशन पर बवाल मचा है. यहां प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि आरक्षण को खत्म किया जाए क्योंकि इससे मेधावी छात्रों को नौकरी नहीं मिलती है.
Bangladesh News: बांग्लादेश सरकार ने बृहस्पतिवार को देश भर में फिर से हिंसा भड़कने के बाद नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ बातचीत करने की इच्छा जाहिर की. बांग्लादेश में 56 फीसद आरक्षण है. लेकिन यहां पर लोग इस आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों की तरफ से इस मुद्दे पर देशव्यापी बंद लागू करने की कोशिश किए जाने के दौरान झड़पें हुईं. कानून मंत्री अनीसुल हक ने कहा कि सरकार ने प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ बातचीत के लिए बैठक करने का फैसला किया. अनीसुल हक ने कहा, "जब भी वे सहमत होंगे, हम बैठक करेंगे."
घटनाओं की जांच
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कानून मंत्री से सुप्रीम कोर्ट में लंबित आरक्षण मामले की जल्द सुनवाई के लिए पहल करने को कहा है. सरकार ने चार छात्रों सहित कम से कम 7 लोगों की जान लेने वाली हिंसक घटनाओं की जांच के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश खंडकेर दिलिरुज्जमां के नेतृत्व में एक न्यायिक जांच समिति बनाने का फैसला किया है.
प्रदर्शन वापस लेने की अपील
कानून मंत्री ने प्रदर्शनकारियों से अनुरोध किया कि वे अपना प्रदर्शन समाप्त या स्थगित कर दें क्योंकि सरकार उनके साथ बातचीत करने के लिए तैयार है. बांग्लादेश में रात भर की शांति के बाद बृहस्पतिवार को फिर से हिंसा भड़क उठी जब हजारों छात्रों ने देशव्यापी बंद लागू करने का प्रयास किया. लोगों का कहना है कि प्रदर्शनकारी पुलिस के साथ भिड़ गए जिससे कई लोग घायल हो गए और लोगों को घर के अंदर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा.
सड़कों पर भिड़े लोग
हिंसा के बीच दंगा रोधी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए रबड़ की गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे. वहीं, प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग से जुड़े छात्र ईंट-पत्थरों और डंडों के साथ सड़कों पर प्रदर्शनकारियों से भिड़ गए. कई दिनों के प्रदर्शनों और हिंसक झड़पों में कम से कम 7 लोगों की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों ने बीती रात देश में 'पूर्ण बंद' लागू करने का संकल्प लिया.
खत्म हो आरक्षण
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली के चलते बड़े पैमाने पर मेधावी छात्र सरकारी सेवाओं से वंचित हो रहे हैं. प्रदर्शनकारी इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं. वर्तमान आरक्षण प्रणाली के तहत 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए, 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों, 10 प्रतिशत महिलाओं, पांच प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों और एक प्रतिशत नौकरियां दिव्यांगों के लिए आरक्षित हैं.