Azamgarh based NASA scientist Yogeshwar Nath Mishra: उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ के रहने वाले NASA वैज्ञानिक, डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्रा ने एक ऐसे कैमरे के इजाद किया है, जो रोशनी से भी तेज़ गति से चलने वाले किसी ऑब्जेक्ट की तस्वीर पलभर में कैद कर सकता है. इसे दुनिया का अबतक का सबसे तेज़ गति से काम करने वाल कैमरा बताया जा रहा है. दरअसल, डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्रा ने इस कैमरे को बनाकर अपना ही एक पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जिसमें उन्होंने नई तकनीक पर आधारित एक बेहद फ़ास्ट कैमरे का इजाद किया था. उनका बनाया हुआ नया कैमरा वर्तमान तकनीक से 20,000 गुना तेज़ गति से काम करता है. यह नवीनतम कैमरा फेम्टोसेकंड लेज़र और स्ट्रीक कैमरा का इस्तेमाल करके विकसित किया गया है. इसे fsLS-CUP नामक नई 2D इमेजिंग विधि के रूप में पेश किया गया है. 


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इतनी है रफ्तार
नासा-जेपीएल/कैलटेक में डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्रा और कैलटेक के प्रोफेसर लिहोंग वी. वांग के नेतृत्व में, नेचर के जर्नल 'लाइट: साइंस एंड एप्लिकेशन' में प्रकाशित एक नए पेपर में, फेम्टोसेकंड लेज़र शीट-कंप्रेस्ड अल्ट्राफास्ट फ़ोटोग्राफी (fsLS-CUP) से दुनिया को रूबरू कराया है. यह क्रांतिकारी तकनीक, जो दुनिया की सबसे तेज़ सिंगल-शॉट प्लानर इमेजिंग कैमरा है, फेम्टोसेकंड लेज़र-लौ की गतिशीलता की पूरी फिल्म को रिकॉर्ड करती है, वह भी अप्रत्याशित 250 बिलियन (10^9) फ्रेम्स प्रति सेकंड (Gfps) की गति से, जिससे यह मौजूदा इमेजिंग सिस्टम से 20,000 गुना तेज़ है.



नई तकनीक से होगा ये फायदा 
डॉ. मिश्रा ने कहा, "हमने fsLS-CUP तकनीक का इस्तेमाल करके प्रकृति की कुछ अत्यंत तेज़ घटनाओं को कैप्चर करने में कामयाबी हासिल की है. हमारा कैमरा ब्रह्मांड की सबसे तेज़ घटनाओं, या प्रकाश को वास्तविक समय में रिकॉर्ड कर सकता है. यह न सिर्फ हाइड्रोकार्बन और नैनोपार्टिकल के निर्माण और विकास की हमारी समझ को बेहतर बनाता है, बल्कि भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, चिकित्सा, ऊर्जा और पर्यावरण विज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संभावनाओं के रास्ते भी खोलता है. हमारा शोध, जिसमें हाइड्रोकार्बन का सबसे तेज़ अवलोकन शामिल है, नासा के जीवन की उत्पत्ति और ब्रह्मांडीय विकास के मिशन के साथ भी मेल खाता है."


तकनीकि में सुधार
डॉ. मिश्रा ने बताया की उनका काम अल्ट्राफास्ट इमेजिंग और विज्ञान में एक महत्वपूर्ण प्रगति को रेखांकित करता है, जो प्राकृतिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए महत्वपूर्ण तेज़ घटनाओं को उजागर करने की क्षमता रखता है. उनकी टीम इमेजिंग प्रदर्शन में गति, स्थानिक रिज़ॉल्यूशन और छवि पुनर्निर्माण की विश्वसनीयता में लगातार सुधार कर रही है.



तेज कैमरों की मांग
डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्रा ने बताया कि मोमबत्ती की लौ और हवाई जहाज़ के इंजन पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) छोटे कार्बन कण पैदा करते हैं, जो मानव और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक होते हैं.  ये कार्बन आधारित कण अंतरिक्ष में भी सामान्य रूप से पाए जाते हैं, और वे इंटरस्टेलर मैटर का 10-12% हिस्सा बनाते हैं. ये कण इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और स्थायी ऊर्जा के उपयोग के लिए भी मूल्यवान होते जा रहे हैं. हालांकि, कार्बन और PAHs के फिंगरप्रिंट संकेतों की लौ में आयु बहुत छोटी होती है, सिर्फ कुछ अरबवें से मिलियनवें सेकंड तक. यह संक्षिप्त अस्तित्व इनके व्यवहार को अंतरिक्ष और समय में कैप्चर करने के लिए बहुत तेज़ कैमरों की मांग करता है. 


काम होगा आसान
वर्तमान में मौजूद इमेजिंग सिस्टम सिर्फ कुछ मिलियन (10^6) फ्रेम्स प्रति सेकंड कैप्चर कर सकते हैं, और अक्सर कई लेज़र पल्स की ज़रूरत होती है, जिससे अवांछित हीटिंग समस्याएं पैदा होती हैं. पारंपरिक तरीकों की कई सीमाएं हैं. अब नई अल्ट्राफास्ट फोटोग्राफी तकनीक fsLS-CUP से प्रति सेकंड अरबों फ्रेम तक की अभूतपूर्व 2D इमेजिंग गति पर ऑप्टिकल घटनाओं को कैप्चर करना संभव हो गया है.