British Pakistani radical preacher Anjem Choudary faces life term: ब्रिटिश और पाकिस्तानी दोहरी राष्ट्रीयता वाले कट्टरपंथी इस्लामी उपदेशक अंजेम चौधरी को मंगलवार को ब्रिटेन की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. उसे एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन को चलाने का दोषी पाया गया है. उसे ये सजा संयुक्त अंतरराष्ट्रीय जांच के बाद सुनाई गई है. 


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57 वर्षीय चौधरी को अल-मुहाजिरौन (एएलएम) में "कार्यवाहक भूमिका" निभाने का कसूरवार पाया गया है. लंदन के वूलविच क्राउन कोर्ट में मुकदमे के दौरान पाया गया कि उसने 2014 के बाद आतंकवादी समूह को निर्देशित किया और इसके लिए समर्थन जुटाने का काम किया था. 


मेट्रोपॉलिटन पुलिस, न्यूयॉर्क पुलिस विभाग और रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस की जांच के बाद 30 जुलाई को सजा सुनाए जाने पर अब उसे आजीवन कारावास की सजा का सामना करना पड़ेगा. मेट्रोपॉलिटन पुलिस के आतंकवाद-रोधी कमान के प्रमुख कमांडर डोमिनिक मर्फी ने कहा, "एएलएम का जाल दुनिया भर में फैल गया है और सार्वजनिक सुरक्षा और संरक्षा पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है."


गौरतलब है कि एएलएम को पहली बार यूके द्वारा 2006 में अल घुराबा नाम से बैन किया गया था. चौधरी एएलएम के मूल तीन सदस्यों में से एक था, जिसने 1996 में इसकी स्थापना की थी. 


क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कहा कि वह जुलाई 2023 तक इसके नेता के रूप में काम कर रहा था, और इस्लामिक थिंकर्स सोसाइटी (आईटीएस) नामक यूएस-आधारित शाखा में ऑनलाइन भाषण देता था. उस समूह में अमेरिका में गुप्त कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा घुसपैठ की गई थी, जो 2022 और 2023 में ऑनलाइन व्याख्यानों में मौजूद रहते थे.  अदालत ने पाया कि चौधरी ने कहा था कि वह व्याख्यान के दौरान एक चरमपंथी कहे जाने को अपने लिए एक "पदक" के तौर पर देखते हैं. 


चौधरी को अक्टूबर 2018 में इस्लामिक स्टेट (ISIS) आतंकवादी समूह के लिए समर्थन जुटाने के लिए पांच साल की सजा से पहले रिहा कर दिया गया था. उसे जुलाई 2021 तक इंटरनेट का उपयोग करने से रोक दिया था. उसके एक समर्थक, कनाडा के एडमॉन्टन के 29 वर्षीय खालिद हुसैन को भी एएलएम सदस्यता का कसूरवार पाया गया है. पिछले साल जुलाई में लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर पहुंचते वक़्त उसे हिरासत में लिया गया था. 


सीपीएस ने अदालत को बताया कि चौधरी ने जून 2022 से अपनी गिरफ्तारी तक साप्ताहिक रूप से छोटे समूहों से ऑनलाइन बात की और ब्रिटेन में इस्लामिक स्टेट की स्थापना पर लेक्चर दिया.  सह-अभियुक्त हुसैन ने कनाडा में चौधरी के लिए प्रभावी ढंग से काम किया था.  प्रतिबंधित संगठन अल मुहाजिरौन से संबंधित हैं, जिसे इस्लामिक थिंकर्स सोसाइटी के नाम से भी जाना जाता है. 
ब्रिटेन में जन्मे चौधरी विभिन्न कट्टरपंथी संगठनों से जुड़ा रहा है, जिनमें अब प्रतिबंधित इस्लामी समूह अल मुहाजिरौन भी शामिल है.उसे 2018 में लंदन की उच्च सुरक्षा वाली बेलमार्श जेल से रिहा कर दिया गया था, जहां उन्हें सितंबर 2016 में लंदन की ओल्ड बेली अदालत द्वारा कट्टरपंथी उपदेश देने और मुसलमानों से आतंकवादी समूह आईएसआईएस (ISIS) का समर्थन करने का अपील करने के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद रखा गया था.