नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने सेना के एक मेजर द्वारा एक अफगान महिला को धोखे में रखकर उससे शादी और कथित बलात्कार करने के आरोपी एक मेजर के खिलाफ मुकदमा चलाने का फैसला किया है. अदालत ने शादी के वीडियो और रिकॉर्ड में मौजूद अन्य सामग्री पर विचार करने के बाद यह फैसला लिया है. मेजर द्वारा कथित तौर पर यह अपराध उस वक्त किया गया था, जब वह अफगानिस्तान में एक सेना के एक डॉक्टर के रूप में तैनात था. मेजर हिंदू था और बाद में इस्लाम कबूल करने के बाद उसने नवंबर 2006 में शिकायतकर्ता से निकाह किया और उसके साथ यौन संबंध बनाए. जबकि, वह पहले से ही शादीशुदा था और भारत में उसका एक भरा-पूरा परिवार था.


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कड़कड़डूमा कोर्ट की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सोनिका ने दोनों पक्षों की दलीलों और रिकॉर्ड पर सामग्री को सुनने के बाद कहा है कि आरोपी मेजर पर भी बलात्कार के अपराध के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए. मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा, “इस तरह, यह अदालत शिकायतकर्ता के वकील द्वारा दिए गए दलील से इत्तिफाक रखता है, और उसकी राय है कि अभियुक्त पर अन्य अपराधों के अलावा आईपीसी की धारा 376 के तहत भी मुकदमा चलाया जाना चाहिए.’’ अन्य दस्तावेजों के साथ शिकायत की कॉपी और सम्मन की कॉपी आरोपी को देने के बाद, कोर्ट ने मामले को 25 अप्रैल को दस्तावेजों की जांच के लिए सूचीबद्ध किया है.

शादी की वीडियो से मिले पुख्ता सुबूत 
कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि शिकायतकर्ता ने इल्जाम लगाया था कि मुल्जिम ने उसके साथ यौन संबंध बनाए थे. मजिस्ट्रेट ने आदेश में कहा, “रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चलता है कि मुल्जिम ने कथित अपराध के वक्त किसी दूसरे शख्स के साथ अपनी शादी को स्वीकार किया था." अदालत ने शिकायतकर्ता द्वारा रिकॉर्ड में रखी गई वीडियो सीडी की सत्यता पर भी ध्यान दिया है. मजिस्ट्रेट ने कहा, “इसके अलावा, शिकायतकर्ता ने अपने और मुल्जिम के बीच विवाह समारोह के वीडियो वाली सीडी को रिकॉर्ड पर रखा था, और इसकी सत्यता एफएसएल परीक्षा द्वारा स्थापित की गई थी."

आरोपी ने इस आधार पर शिकायत को दी थी चुनौती 
अदालत ने आईपीसी की धारा 494/495/496 के तहत द्विविवाह से संबंधित अपराध के लिए आरोपी मेजर को तलब किया था. शिकायतकर्ता के वकील ने दलील दी थी कि आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 494/495/496 और इसके अलावा, आईपीसी की धारा 376 के तहत फ्रेम करने के लिए पर्याप्त सामग्री है. इसके विपरीत, आरोपी मेजर के वकील ने तर्क दिया कि अदालत के पास वर्तमान मामले से निपटने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि कथित अपराध अफगानिस्तान में किया गया था और शिकायतकर्ता को पता था कि अभियुक्त उत्तराखंड के पिथौरागढ़ का है, जहां शिकायतकर्ता ने शिकायत की थी. वकील ने कहा कि आरोपी को वर्तमान मामले में आरोप मुक्त किया जाना चाहिए.

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला 
इस मामले में अदालत ने, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पास किए गए एक फैसले के आधार पर कहा, “इस प्रकार, भारत के बाहर भारत के नागरिक द्वारा किए गए अपराध के लिए, जिस अदालत में अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा लाया गया है, उसके पास अधिकार क्षेत्र होगा. “अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में, आरोपी समन जारी होने पर वर्तमान अदालत में पेश हुआ है, इस प्रकार, उपरोक्त मामले के कानून को देखते हुए, इस अदालत के पास वर्तमान मामले को निपटाने का अधिकार क्षेत्र है." 

जानिए, क्या था पूरा मामला 
गौरतलब है कि शिकायतकर्ता, अफगान महिला ने आरोपी चंद्र शेखर पंत उर्फ हिम्मत खान के खिलाफ दायर एक शिकायत मामले के साथ वकील रविंदर गदिया के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाया था. अफगानी महिला ने इल्जाम लगाया है कि मुल्जिम मेजर ने अफगानिस्तान में अपनी पहली शादी के बावजूद मुस्लिम संस्कारों के मुताबिक, इस्लाम धर्म अपनाकर शिकायतकर्ता से शादी की थी. निकाह के वक्त मुल्जिम मेजर अफगानिस्तान में सरकारी पोस्टिंग पर मौजूद था. आरोपी मेजर ने अफगानी महिला के साथ विवाह के वक्त उससे अपनी पहली शादी के बारे में तथ्य को छुपाया था. महिला को इस बारे उस वक्त पता चला जब वह भारत लौट आया था. 


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