नई दिल्लीः अफगानिस्तान के पूर्व गृहमंत्री मसूद अंदाराबी ने तालिबान द्वारा कथित तौर पर मारे जा रहे छोटे बच्चों की चैंकाने वाली तस्वीरें पोस्ट की हैं. अंदाराबी ने कहा कि तालिबान लोगों को आतंकित करके, छोटे बच्चों और बुजुर्ग नागरिकों को मारकर लोगों पर शासन करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि तालिबान इस तरह के आतंकी तरीकों का इस्तेमाल करके राष्ट्र पर शासन नहीं कर सकता. 

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निर्दोष नागरिकों की हत्या कर रहा है तालिबान 
अंदाराबी ने बच्चों के शवों और घायल बच्चों की तस्वीरें पोस्ट करते हुए ट्वीट किया, ’’तालिबान लोगों को आतंकित करके, छोटे बच्चों और बुजुर्ग नागरिकों को मारकर लोगों पर शासन करने की कोशिश कर रहा है. तालिबान इस तरह की कायराना करतूतों से देश पर शासन नहीं कर सकता. तालिबान अंदराब में लोगों के घरों की अनुचित तलाशी ले रहा है, बिना कारण या औचित्य के लोगों को पकड़ रहा है और निर्दोष नागरिकों की हत्या कर रहा है. नतीजतन, लोगों को अपने जीवन, सम्मान, गरिमा और संपत्ति की रक्षा के लिए अपनी क्रूरता के खिलाफ हथियार उठना पड़ रहा है.’’ 



हजारों महिलाएं और बच्चे पहाड़ों पर भाग गए हैं
तस्वीरें छोटे बच्चों को दिखाती हैं, जिनके बारे में अंदाराबी का कहना है कि तालिबान ने उन्हें मार डाला है. अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने एक ट्वीट में कहा, ’’तालिब भोजन और ईंधन को अंदराब घाटी में नहीं जाने दे रहे हैं. मानवीय स्थिति विकट है. हजारों महिलाएं और बच्चे पहाड़ों पर भाग गए हैं. पिछले दो दिनों से तालिब बच्चों और बुजुर्गो का अपहरण कर रहे हैं और उन्हें ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.’’



मानवाधिकारों के हनन की विश्वसनीय रिपोर्ट
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की जब्ती ने मानवाधिकार हनन के पिछले पैटर्न की वापसी पर गंभीर आशंका पैदा कर दी है, जिससे कई अफगानों में हताशा पैदा हो गई है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने कहा कि हाल के हफ्तों में कार्यालय को अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन के नागरिकों पर प्रभाव के साथ-साथ पार्टियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन की कठोर और विश्वसनीय रिपोर्ट मिली है. तालिबान के कब्जे वाले कई इलाकों में ये सब हो रहा है. महिलाओं के अधिकारों पर प्रतिबंध, जिसमें उनका आजादी से घूमने का अधिकार और लड़कियों के स्कूलों में जाने का अधिकार शामिल है. बाल सैनिकों की भर्ती की जा रही है और शांतिपूर्ण विरोध व असंतोष की अभिव्यक्ति का दमन किया जा रहा है.


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