PTI Files Petition: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी ने बृहस्पतिवार को अदालत में एक अर्ज़ी दायर की. इस याचिका में पीटीआई लीडरों को बदनाम करने और ख़ुफिया एजेंसियों द्वारा नामालूम मक़ाम पर ले जाकर यातना देने की आशंका से ख़ौफ़ज़दा होकर अर्ज़ी दायर की गई है. याचिका में उन लीडरों को रिहा करने की अपील की गई है,जिन्हें एक दिन पहले 'जेल भरो' तहरीक के दौरान हिरासत में लिया गया था. पंजाब की अंतरिम सरकार ने बृहस्पतिवार को इस बात की तस्दीक़ की.


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"पीटीआई नेताओं को ख़तरा"
पुलिस ने पूर्व संघीय मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी, असद उमर और हम्माद अज़हर, सीनेटर आज़म स्वाती और वलीद इक़बाल (मशहूर उर्दू शायर अल्लामा इक़बाल के पोते) और पंजाब के पूर्व गवर्नर उमर सरफराज़ चीमा समेत 81 पीटीआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. हालांकि, पीटीआई का दावा है कि पुलिस ने लाहौर में उसके 250 वर्कर्स को हिरासत में लिया है. शुरुआत में गिरफ्तार पीटीआई हामियों को कोट लखपत जेल में भेजा गया था लेकिन बाद में उसके नेताओं को एक नामालूम मक़ाम पर स्थानांतरित कर दिया गया.



लाहौर हाईकोर्ट में याचिका
पीटीआई ने अपने गिरफ्तार लीडरों की सुरक्षित रिहाई  और वापसी के लिए बृहस्पतिवार को लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी के बेटे ज़ैन क़ुरैशी ने कहा कि न तो उनके पिता को और न ही दूसरे लीडरों को बृहस्पतिवार को अदालत के सामने पेश किया गया और न ही पंजाब सरकार और पुलिस बता रही है कि उन्हें किस जेल में रखा गया है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि पीटीआई लीडरों की जान को सरकार और पुलिस से ख़तरा है. उन्होंने कहा, 'अगर लीडरों को ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से ली गई हिरासत से रिहा नहीं किया गया तो उनको बड़ा नुक़सान होने का ख़तरा है. याचिकाकर्ताओं ने इल्ज़ाम लगाया कि पीटीआई नेताओं को झूठे इल्ज़ामात में आरोपी बनाया गया है. ग़ौरतलब है कि इमरान ख़ान ने कथित मूल अधिकारों के उल्लंघन, संविधान का उल्लंघन और आर्थिक संकट के ख़िलाफ़ 22 फरवरी से लाहौर में बड़े पैमाने पर 'जेल भरो' मुहिम शुरू की है.


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