संयुक्त राष्ट्र: केंद्र सरकार लगातार दावे कर रही है कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, और देश से भुखमरी और बेरोजगारी कम हो रही है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट ने भारत सरकार के इन दावों की पोल खोल दी है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत दुनिया के उन 5 देशों में शामिल है, जहां सबसे ज्यादा आबादी में लोग घोर गरीबी में ज़िन्दगी गुज़र-बसर कर रही है. 


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UNO की नई रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में इस वक़्त करीब 1.1 अरब लोग घोर गरीबी में जिंदगी गुज़ार रहे हैं, जिनमें आधे नाबालिग हैं. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और  ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (OPHI) द्वारा गरीबी सूचकांक (MPI) के ये आंकड़े जारी किए गए हैं. इसमें कहा गया है कि दुनिया में 1.1 अरब लोग भयंकर गरीबी में जी रहे हैं, जिनमें से 40 फीसदी लोग जंग, नाजुक हालात और अशांत मुल्कों में रह रहे हैं.


रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 23.4 करोड़ लोग अभी भी भयानक गरीबी में ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के अलावा अन्य 4 मुल्क पाकिस्तान (9.3 करोड़), इथियोपिया (8.6 करोड़), नाइजीरिया (7.4 करोड़) और कांगो (6.6 करोड़) हैं, जहाँ सबसे ज्यादा गरीबी है.  रिपोर्ट के मुताबिक,  दुनिया में गरीबी में जीने वाले 1.1 अरब लोगों में करीब आधे (48.1 फिसद) इन पांच देशों में रहते हैं. वहीँ, दुनिया में 45.5 करोड़ गरीब लोग ऐसे मुल्कों में रहते हैं, जहाँ गृह युद्ध या जंग जारी है. 


रहने के लिए नहीं है घर 
रिपोर्ट के मुताबिक, भयंकर गरीबी में जीने वाले 1.1 अरब आबादी में से 82.8 करोड़ के पास साफ़-सफाई, 88.6 करोड़ के पास रहने का घर और 99.8 करोड़ के पास खाना पकाने के लिए आधुनिक ईंधन का अभाव है. इनमें से आधे से ज्यादा यानी 63.7 करोड़ अपने घर में कुपोषित रहते हैं. दक्षिण एशिया में 27.2 करोड़ गरीब ऐसे घरों में रहते हैं, जहां कम से कम एक आदमी कुपोषित है, और उप-सहारा अफ्रीका में यह तादाद 25.6 करोड़ है.


नहीं कम हो रही ग्रामीण इलाकों की गरीबी 
रिपोर्ट के मुताबिक, गरीबी में रहने वाले करीब 83.7 फीसदी लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. दुनिया भर के सभी देशों में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा गरीब हैं. वैश्विक सतह पर ग्रामीण आबादी में गरीबी का लेवल 28.0 फीसदी है, जबकि शहरी आबादी में यह लेवल सिर्फ  6.6 फीसदी है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ऑक्सफोर्ड 2010 से ही हर साल बहु आयामी गरीबी सूचकांक जारी करता है, जिनमें सेहत, तालीम और जीवनस्तर सहित 10 पैमानों को  सर्वे का बुनियाद बनाया जाता है. इस साल के सूचकांक में दुनिया के 112 मुल्कों के डाटा का विश्लेषण किया गया है, जहाँ दुनिया की 6.3 अरब आबादी रहती है. 


‘‘हमारे अनुंसधान के मुताबिक बहुआयामी गरीबी में रहने वाले 1.1 अरब लोगों में से लगभग आधे हिंसक संघर्ष वाले देशों में रहते हैं.1.1 अरब गरीब लोगों में से आधे से ज्यादा (58.4 करोड़) 18 साल से कम उम्र के बच्चे हैं. वैश्विक स्तर पर, 27.9 फीसदी बच्चे गरीबी में रहते हैं, जबकि बालिगों में यह प्रतिशत 13.5 है."
अचिम स्टीनर, UNDP प्रमुख