Egypt Inflation: इस मुस्लिम देश में महंगाई का कहर: मस्जिदों को बताया जा रहा वजह; मुर्गियों के पैर खाने की दी सलाह
Egypt News: मुस्लिम देश मिस्र इन दिनों को महंगाई के बुरे दौर से गुजर रहा है. वहां की सरकार ने लोगों को मुर्गियों के पैर खाने तक की इजाज़त दे दी है.
Egypt Crisis: पाकिस्तान के अलावा एक और मुस्लिम देश कंगाली के दौर से गुजर रहा है. लोगों का खाने की जरूरी चीजें खरीदने तक पर पाबंदी लगा दी गई हैं. हम बात कर रहे हैं मिस्र की. मिस्र इस वक्त इतनी बुरी स्थिति का सामना कर रहा है कि लोगों को सिर्फ तीन कट्टा चावल, दो बोतल दूध और एक बोतल तेल खरीदने की इजाजत है. एक जानकारी के मुताबिक मिस्र में महंगाई दर बहुत तेजी से बढ़ी है. नवंबर 2021 में जो महंगाई दर 6.2 फीसद थी वो एक साल बाद नवंबर 2022 में 19.2 फीसद हो गई थी.
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक ऐसे हालात में सरकार ने कीमतों को कंट्रोल करने के बजाय शहरियों को चिकन मांस के मुर्गियों पैर खाने की सलाह दी. मुर्गे के पैर खाना मिस्र में बहुत ज्यादा गरीबी की निशानी माना जाता है, यहां देश की 30 फीसद आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है. देश में महंगाई की वजह से मांस की कीमतों में भारी उछाल देखा मिला है. एक जानकारी के मुताबिक मीट के दाम में 150 गुना का इज़ाफ़ा दर्ज किया गया है जिससे लोग मांस खाने को तरसते हैं और ऐसे में सरकार ने लोगों को महंगाई कंट्रोल करने के बजाय मुर्गे-मुर्गियों के पैर खाने की सलाह दी है.
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तेजी बढ़ने वाली महंगाई के कारणों में से एक कारण मस्जिदों की ज्यादा तादाद को बताया जा रहा है. आजतक में छपी एक खबर के मुताबिक,"मिस्र के धार्मिक मामलों के मंत्री मोहम्मद मुख्तार गोमा ने सितंबर 2020 में एक इंटरव्यू में बताया था कि पूरे देश में मस्जिदों की तादाद 1 लाख 40 हजार से ज्यादा हो गई है." खबर के मुताबिक धार्मिक मंत्रालय ने बताया कि साल 2013 के बाद से देश में 9600 नई मस्जिदें बनी हैं. इन मस्जिदों में तकरीबन 404 मिलियन डॉलर (32 अरब 85 करोड़ 10 लाख 58 हजार रुपये) की लागत आई.
हालांकि गरीबी की सिर्फ यही वजह काफी नहीं है लेकिन सरकार के ज़रिए इस दिशा में किए जा रहे बेशुमार खर्चे से लोग नाराज हैं. एक शख्स ने ट्वीट करते हुए लिखा,"नई मस्जिदों को बनाने के लिए 10 अरब पाउंड का खर्च किया गया जबकि उससे ज्यादा जरूरत स्कूलों को ठीक करना है. जिसका बजट सरकार की तरफ से नहीं मिल रहा है." ट्वीट में आगे कहा गया,"एक शहरी कहीं भी प्रार्थना कर सकता है, लेकिन पढ़ाई सिर्फ स्कूल में ही हो सकती है."
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