Afghan Refugees Killed: एमनेस्टी इंटरनेशनल ने तुर्की और ईरानी सीमा अधिकारियों पर पिछले साल कम से कम 14 अफगान शरणार्थियों की हत्या करने का आरोप लगाया है. UK में मौजूद NGO ने कहा कि उसने बुधवार को जारी 'दे डोंट ट्रीट यू लाइक ह्यूमन' नामक एक रिपोर्ट में ईरानी सुरक्षा बलों की तरफ से 11 अफगानों और तुर्की सुरक्षा बलों की तरफ से 3 की 'गैरकानूनी हत्या' का दस्तावेजीकरण किया था.


देश को पार कर रहे अफगानियों पर किया हमला


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डीपीए समाचार एजेंसी के अनुसार, राइट्स ग्रुप ने कहा कि ईरानी और तुर्की सुरक्षा बलों ने देशों को पार कर रहे अफगानों पर हमला किया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरानी सुरक्षा बलों ने भीड़-भाड़ वाली कारों पर बार-बार गोलियां चलाईं, जबकि तुर्की के सीमा प्रहरियों ने अवैध रूप से गोला-बारूद का इस्तेमाल किया. 


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अफगानियों को भेजा गया उनके देश


अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से ये आंकड़े उस अवधि से संबंधित हैं. तब से देश में मानवीय स्थिति काफी खराब हो गई है. तुर्की यूरोपीय देशों के नागरिकों को कन्वेंशन के तहत शरणार्थी का दर्जा देता है, जबकि सीरियाई शरणार्थियों को केवल एक अस्थायी सुरक्षा का दर्जा प्रदान करता है. अन्य गैर सरकारी संगठनों की कई रिपोर्टों से पता चलता है कि अधिकांश भाग के लिए तुर्की में अफगानों को शरणार्थी का दर्जा भी नहीं दिया जाता है. तुर्की के गृह मंत्रालय के अनुसार, इस साल अब तक लगभग 43,000 अफगानों को अफगानिस्तान भेजा जा चुका है.


तालिबान ने किया कब्जा


ख्याल रहे कि पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबानियों ने कब्जा कर लिया था. इसके बाद यहां से कई अफगानी अपना देश छोड़ कर भाग गए. कई अफगानी नागरिक अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान चले गए जहां से उन्होंने तुर्की और दूसरे देशों का रुख किया है. इस दौरान कई अफगानियों की मौत भी हुई है. खबरें हैं कि अफगानिस्तान बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है. यहां महिलाओं की स्थिति भी खराब है.


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