दुबईः ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन के दौरान दो सुरक्षाबलों की हुई हत्या के इल्जाम में दो नागरिकों को फांसी दे दी गई है. ईरान ने कहा है कि उसने एक प्रदर्शन के दौरान एक अर्धसैनिक स्वयंसेवक की हत्या करने के कसूरवार दो लोगों को शनिवार को मौत की सजा दी है. देश के लोकतंत्र को चुनौती देने और देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन को कुचलने के नाम पर उठाए गए कदमों में ईरान का यह नया कदम है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मारे गए लोगों की पहचान मोहम्मद करमी और मोहम्मद हुसैनी के तौर पर की गई थी. सितंबर में महसा अमिनी की मौत के बाद देशव्यापी विरोध-प्रदर्शनों के शुरू होने के बाद से प्रदर्शनकारियों ने चार सरकारी मुलाजिमों को मार डाला गया था. न्यायपालिका की मिजान समाचार एजेंसी ने कहा है कि इन लोगों को 3 नवंबर को तेहरान के बाहर कारज शहर में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड के स्वयंसेवक बासिज फोर्स के एक सदस्य रूहोल्लाह अजामियन की हत्या का कसूरवार ठहराया गया है. कार्यकर्ताओं का कहना है कि बंद दरवाजे में की गई सुनवाई में कम से कम 16 लोगों को विरोध से जुड़े आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई है. ईरान में मौत की सजा आम तौर पर फांसी से दी जाती है.  
ईरान के इ कदम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की जा रही है. 

500 से ज्यादा प्रदर्शकारी मारे जा चुके हैं 
ईरान में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक, कम से कम 517 प्रदर्शनकारी अबतक मारे गए हैं, और 19,200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, ईरानी अधिकारियों ने मारे गए या हिरासत में लिए गए लोगों की आधिकारिक संख्या प्रदान नहीं की है. वहां काम करने वाले और इस आंदोलन पर बारीकी से नजर रखने वाले गैर सरकारी संगठनों ने इन आंकड़ों को सार्वजनिक किया है.  


महसा अमिनी की मौत के बाद से धधक रहा है ईरान 
गौरतलब है कि ईरान में ये विरोध- प्रदर्शन सितंबर के मध्य में उस वक्त शुरू हुआ था, जब 22 वर्षीय महसा अमिनी की ईरान की मोरल पुलिस द्वारा सख्त ड्रेस कोड का कथित रूप से उल्लंघन करने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया था और बाद में पुलिस हिरासत में ही महसा अमिनी की मौत हो गई थी. इसके बाद देशभर में हुए विरोध-प्रदर्शनों में वहां की महिलाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई है. महिलाएं अपने बाल कटवाकर और हिजाब में आग लगाकर अपना विरोध जता रही हैं. वहीं, ईरान में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सरकार गोला-बारूद, बर्ड शॉट, आंसू गैस और डंडों का इस्तेमाल कर रही है. 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ईरान में लोकतंत्र की स्थापना एक बड़ी चुनौती है. 


Zee Salaam