India, Russia and Iran: जल्द ही भारत ईरान की मदद से एक ऐसा कॉरिडोर बनाएगा जो रूस से मिलेगा. इसके जरिए तीनों देश आपस में कारोबार करेंगे. भारत के जरिए दक्षिण एशिया के देशों कारोबार बढ़ेगा. इससे भारत पश्चिमी देशों पर कम निर्भर रहेगा. इसके बाद पश्चिमी देशों की दादागीरी खत्म हो जाएगी. भारत को बार-बार पाबंदी की धौंस नहीं सुननी पड़ेगी. ईरान से होकर गुजरने वाले कॉरिडोर के बनने से पश्चिमी देशों को बड़ा धक्का लगने वाला है.


बनेगी 6000 किमी की सड़क


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जापानी अख्बार निक्कोई एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान ने खुद को बड़ी भूमिका के लिए तैयार किया है. एशिया, रूस और यूरोप में कारोबार की संभावनाओं को देखते हुए रेल लाइन बिछाने में लगा हुआ है. ईरान ने अब तक 3,300 किमी लंबी लाइन बिछा दी है. इसके साथ ही 6,000 किमी का हाइवे भी तैयार कर रहा है. ईरान ने साल 2022 में फोर लेन हाइवे भी खोला है जो कैस्पियन सागर और पर्सियन खाड़ी को डोड़ता है.


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2002 में तीनों देशों में समझौता


साल 2002 में ईरान, रूस और भारत के दरमियान एक समझौता हुआ था. इसके तहत एक इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर बनाया जाना था. इसके जरिए रूस, ईरान और भारत जुड़ा जाएंगे. इसके बाद तीनों देश आपस में कारोबार कर सकेंगे. इससे स्वेज नहर पर निर्भरता कम हो जाएगी. रूस का मंसूबा है कि वह दक्षिण एशिया में अपनी चीजों को पहुंचा कर यूरोपीय देशों पर निर्भरता कम कर दे.


दोनों देशों नें खर्च किए करोड़ों


रूस यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद यूरोपीय देशों ने रूस पर काफी दबाव डाला है. ईरान पर भी पश्चिमी देशों का दबाव है. इसलिए दोनों देश आपस में कारोबार शुरू करना चाहते हैं. इस रास्ते को बनाने के लिए दोनों काफी रुपये खर्च कर रहे हैं. भारत में भी इस रास्ते को बनाने में सहयोग कर रहा है.


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