दुबईः ईरान में आम नागरिकों के साथ ही महिला खिलाड़ियों को भी पर्दा करने का सख्त आदेश है. ईरान के सख्त ड्रेस कोड के तहत एक हेडस्कार्फ़ पहनना अनिवार्य है. इसका उल्लंघन करने वाली महिलाओं को सख्त सजा भुगतना पड़ता है. हाल ही में ईरानी शतरंज खिलाड़ी सारा खादेम को कजाकिस्तान के अल्माटी में फिडे वर्ल्ड रैपिड और ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप में हिजाब के बिना मुकाबले में हिस्सा लेने के पर ’ईरान वापस न लौटने की चेतावनी’ दी गई है. 

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खादेम को फोन कर दी गई चेतावनी 
25 वर्षीय खिलाड़ी मंगलवार को स्पेन पहुंचीं थी, तभी उनके एक करीबी सूत्र ने हिजाब के बिना मुकाबले में हिस्सा लेने के लिए ईरान वापस नहीं लौटने की चेतावनी दी थी. नाम नहीं बताने की शर्त पर सूत्र ने कहा, "खादम को बाद में कई फोन कॉल आए जिसमें कुछ लोगों ने उन्हें टूर्नामेंट के बाद घर लौटने के खिलाफ चेतावनी दी है. सूत्र ने यह भी कहा कि खादम के रिश्तेदार और माता-पिता, जो ईरान में हैं, को भी जानकारी दिए बिना धमकियां मिल रही है.’’ हालांकि, ईरान के विदेश मंत्रालय ने मामले पर टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत कोई जवाब नहीं दिया है.
अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ के मुताबिक, शतरंज खिलाड़ी सारा खादेम का जन्म 1997 में हुआ था और वर्तमान में दुनिया भर की शंतरंज खिलाड़ियों में ईरान में वह 10 वें स्थान पर है और दुनिया में 804वें स्थान पर हैं. 

स्पेन में खादेम की सुरक्षा कर दी गई कड़ी 
सूत्र ने कहा कि फोन कॉल की वजह से आयोजकों ने कज़ाख पुलिस के सहयोग से सुरक्षा प्रदान करने का फैसला लिया है, जिसके बाद खादम के होटल के कमरे के बाहर चार सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए है. सितंबर में हिजाब को लेकर सरकार विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत के बाद से, खादम हिजाब के बिना मुकाबले में हिस्सा लेने वाली दूसरी एथलीट हैं. 
सीएनएन के मुताबिक, ईरान की उप खेल मंत्री मरियम काज़ेमिपुर ने पहले एक बयान में कहा था, ’’ जिन एथलीटों ने इस्लामी सिद्धांतों का उल्लंघन किया, उन्हें बाद में अपने व्यवहार पर पछतावा हुआ और अपनी गलती को सुधारने का मौका तलाश रहे हैं.“ 


पर्वतारोही एल्नाज़ रेकाबी को भी मिल चुकी है धमकियां 
इससे पहले इससे पहले, ईरान की पर्वतारोही एल्नाज़ रेकाबी ने हिजाब पहने बिना अक्टूबर में दक्षिण कोरिया में एक मुबाबजे में हिस्सा लिया था, जिसके बाद उसे भी धमकियां और ईरान न आने पर गिरफ्तारी का संकेत दिया गया था. बाद में रेकाबी ने बताया था कि पहाड़ी पर चढ़ाई करते वक्त हिजाब अनजाने में सिर से गिर गया था. हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया था कि रेकाबी को यह कहने के लिए मजबूर किया गया था या उसने अपनी तरफ से सफाई दी थी. 

गौरतलब है कि पुलिस बल द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद ईरान में हिजाब को लेकर सरकार के विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए थे. इस विरोध-प्रदर्शन में अब तक 500 से अधिक लोग मारे गए हैं. ईरान सरकार प्रदर्शनकारियों का दमन कर रही है. 


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