बगदाद: इराक की राजधानी बगदाद में सैकड़ों प्रदर्शनकारी सुरक्षा के लिहाज से सबसे सुरक्षित क्षेत्र 'ग्रीन जोन' की बाधाओं को तोड़कर संसद भवन में घुस गए. इसके बगल में देश की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक और कूटनीतिक इमारतें हैं.


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रिपोर्ट के मुताबिक, ये सभी प्रदर्शनकारी प्रभावशाली शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर के समर्थक हैं और हाल ही में मुहम्मद अल-सुदानी को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किए जाने का विरोध कर रहे हैं संयोग से, जब प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुसे तो कोई विधायक मौजूद नहीं था.


कुछ प्रदर्शनकारी "अल-सुदानी गेट आउट" जैसे नारे लगाते हुए परिसर के चारों ओर की दीवारों पर चढ़ गए. इस सिलसिले में कुछ तस्वीरों और वीडियो में प्रदर्शनकारियों को इमारत की मेजों पर चलते हुए और संसद के अंदर इराकी झंडा लहराते हुए देखा जा सकता है.


नौ महीने से जारी है राजनीतिक गतिरोध
इराक के कार्यवाहक प्रधान मंत्री, मुस्तफा अल-काजिमी ने प्रदर्शनकारियों से "तुरंत संसद छोड़ने" का आह्वान किया है. उन्होंने वार्मिंग देते हुए कहा कि सुरक्षा बल "राज्य संस्थानों और विदेशी मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, और सुरक्षा और व्यवस्था को किसी भी तरह के नुकसान को रोकेंगे.'


पिछले साल अक्टूबर में हुए आम चुनावों के बाद से, राजनीतिक दल प्रधान मंत्री पद के लिए एक नए नेता के चुनाव के संबंध में किसी भी समझौते पर पहुंचने में असमर्थ रहे हैं, इस प्रकार मध्य पूर्वी देश लंबे समय से एक नियमित प्रधान मंत्री के बिना है.


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मुक्तादी अल-सद्र के गुट ने चुनाव में सबसे अधिक सीटें जीतीं, लेकिन अन्य दलों के साथ बातचीत रुक गई क्योंकि कुर्द और शिया सांसद एक भी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहे. मुक्तदा अल-सदर और उनके समर्थक शिया हैं, लेकिन वे ईरान के साथ मजबूत संबंधों वाले अन्य शिया दलों का विरोध करते हैं, जैसे मोहम्मद अल-सुदानी की कॉर्डिनेशन फ्रेमवर्क पार्टी का.


सड़कों पर फैल रही हिंसा की आशंका
मुक्तदा अल-सदर की पार्टी एक नए राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए पर्याप्त समर्थन हासिल करने में विफल रहने के बाद, उन्होंने अपने सांसदों को सामूहिक रूप से इस्तीफा देने का आदेश दिया था. इराक में, संसद औपचारिक रूप से प्रधान मंत्री की स्थिति पर निर्णय लेने से पहले राष्ट्रपति का चुनाव करती है. 329 सीटों वाली संसद में सदर के 73 सांसदों के इस्तीफे ने नए सांसदों के शपथ ग्रहण का रास्ता हमवार किया, लेकिन इसके बाद भी इरान नवाज सियासी ब्लॉक की तादाद में इज़फा हुआ है.


संसद में ईरानी समर्थक समूहों की बढ़ती ताकत ने इस आशंका को और भी हवा दे दी है कि अगर ईरान नवाज समूह ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली तो मुक्तादा अल-सदर के समर्थक उनके विरोध में सड़कों पर उतर सकते हैं और हिंसा की एक नई लहर शुरू हो सकती है.


एक बार पहले भी मुक्तादा अल-सदर के समर्थकों ने 2016 में तत्कालीन प्रधान मंत्री हैदर अल-अबादी से राजनीतिक सुधारों की मांग के लिए संसद पर धावा बोल दिया था.


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