नई दिल्लीः काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने अफगानिस्तान में रह रहे 100 से ज्यादा सिखों और हिंदुओं को ई-वीजा जारी किया है. सरकारी सूत्रों ने इतवार को बताया कि गृह मंत्रालय ने इन लोगों को इलेक्ट्रॉनिक वीजा ‘‘प्राथमिकता की बुनियाद पर’’ दिया है. 
आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने अफगानिस्तान की राजधानी में गुरुद्वारे पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली है. इस हमले में सिख मजहब के एक सदस्य सहित दो लोगों की मौत हो गई थी. गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से, अफगानिस्तान में प्रतिद्वंद्वी सुन्नी मुस्लिम आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट द्वारा लगातार हमले किए जा रहे हैं.


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इस्लामिक स्टेट ने कहा, पैगंबर के अपमान का लिया बदला 
अफगानिस्तान में शनिवार को एक गुरुद्वारे पर हुए हमले की जिम्मेदारी आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट ने ली है और इसे पैगंबर के ‘समर्थन में किया गया कार्य’ बताया है. आतंकी समूह की वेबसाइट ‘अमाक’ पर पोस्ट किए गए बयान में इस्लामिक स्टेट से संबंद्ध इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रोविंस (आईएसकेपी) ने कहा कि शनिवार को किया गया हमला हिंदुओं, सिखों और उन धर्मभ्रष्ट लोगों के खिलाफ है जिन्होंने अल्लाह के दूत का अपमान करने में साथ दिया. शनिवार सुबह काबुल के बाग ए बाला क्षेत्र में कार्ते परवान गुरुद्वारे पर हमला किया गया था.हालांकि, अफगान सुरक्षा कर्मियों ने विस्फोटक लदे एक ट्रक को गुरुद्वारा परिसर में घुसने से रोक कर एक बड़े हमले को नाकाम कर दिया था.

कुछ दिन पहले ही हमले की जारी की थी चेतावनी 
आईएसकेपी ने एक वीडियो संदेश में भाजपा के दो पूर्व नेताओं की तरफ से पैगंबर पर की गई टिप्पणी का बदला लेने के लिए हिंदुओं पर हमला करने की चेतावनी दी थी. इसके कुछ दिनों बाद गुरुद्वारे पर यह हमला हुआ है. आईएसकेपी ने अफगानिस्तान में हिंदुओं, सिखों और शिया समुदाय के धार्मिक स्थलों पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ली थी. इस बीच, काबुल में गुरुद्वारे पर हुए हमले की अफगान नेताओं और संयुक्त राष्ट्र ने तीखी आलोचना की है.

अफगानिस्तान में बच गए हैं सिर्फ 150 सिख 
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में कभी अच्छी-खासी तादाद में सिख और हिंदू रहते थे, लेकिन अब उनकी संख्या बहुत कम रह गई है. इस हमले के पहले मार्च 2020 में, काबुल में स्थित एक गुरुद्वारे पर आत्मघाती हमले में 25 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. 2018 में भी एक आत्मघाती हमलावर ने जलालाबाद में एक सभा पर हमला किया था.  तालिबान के सत्ता में आने तक 300 से भी कम सिख अफगानिस्तान में बचे थे और अब करीब 150 सिख रह गए हैं.  


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