काठमांडूः नेपाल में चीन के करीबी माने जाने वाले पुष्प कमल दहल प्रचंड की गठबंधन सरकार बनते ही चीन और नेपाल के बीच नजदीकियां बढ़नी शुरू हो गई है. पिछले सोमवार को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में पुष्प कमल दहल शपथ ली. पुष्प कमल दहल के नेपाल में आने से नेपाल की जाहिरी तौर पर भारत से दूरी और चीन से नजदीकी आने वाले दिनों में देखने को मिल सकती है. दहल के सत्ता संभालते ही कोविड-19 महामारी की वजह से करीब तीन सालों तक बंद रहने के बाद नेपाल और चीन के बीच प्रमुख सीमा पारगमन मार्गों में से एक को बुधवार से दोबारा खेल दिया गया है. 

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दोनों देशों के बीच खुले व्यापारिक मार्ग 
‘काठमांडू पोस्ट’ अखबार ने ल्हासा स्थित वाणिज्य दूतावास के महावाणिज्य दूत नवाज़ ढकाल के हवाले से लिखा है कि केरूंग-रसुवागढ़ी सीमा से व्यापार चीन को निर्यात शुरू हो गया है.  इसकी औपचारिक रूप से शुरुआत 1961 में हुई थी. नेपाल में चीनी दूतावास ने इस समारोह की तस्वीर जारी कर कहा है कि चीन पड़ोसी देश नेपाल से कुछ और सामानों के आयात की दिशा में काम कर रहा है. बुधवार को नेपाली सामान से भरे छह मालवाहक ट्रक इस शहर से होकर चीन में दाखिल हुए हैं. अखबार ने अपनी रिपोर्ट में रसुवा कस्टम के प्रमुख नारायण प्रसाद भंडारी के हवाले से लिखा है कि मंगलवार को नेपाल की तरफ से 50 लाख रुपए का सामान निर्यात किया गया.  

चीन ने सीमा पार रेलवे लाइन के अध्ययन के लिए नेपाल में विशेषज्ञों की टीम भेजी 
इससे पहले नेपाल में नई सरकार के गठन के एक दिन बाद ही चीन ने नेपाल-चीन सीमा पार रेलवे लाइन की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए मंगलवार को विशेषज्ञों की एक टीम काठमांडू भेजी थी. मंगलवार को दूतावास प्रभारी वांग शिन ने उनका स्वागत किया था. चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने ट्वीट किया था, ‘‘हमारे नेताओं के बीच बनी रजामंदी के तहत एक महत्वपूर्ण फैसला है, और नेपाल के साथ जुड़ाव को बढ़ाने के लिए यह एक ठोस कदम है.’’ 


नेपाल में अमेरिका से होड़ कर रहा है चीन 
इससे पहले साल के शरुआत यानी फरवरी में नेपाली संसद ने घरेलू स्तर पर भारी राजनीतिक विरोध और चीन की आपत्तियों के बावजूद 50 करोड़ डॉलर के अमेरिकी सरकारी सहायता कार्यक्रम-मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन को मंजूरी दे दी थी. जिसके बाद नेपाल में दबदबा बढाने के लिए अमेरिका के साथ होड़ कर रहे चीन ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अमेरिका को धौंस वाली कूटनीति के जरिए किसी देश की संप्रभुता को कमजोर नहीं करना चाहिए. चीन नेपाल में अपनी महत्वाकांक्षी याजना ‘बेल्ट एंड रोड’ के तहत अपनी घुसपैठ बढ़ाने में लगा हुआ है. 

नेपाल में चीन के पहुंच बढ़ाने के प्रयासों के बीच भारत को सतर्क होने की जरूरत
वहीं, नेपाल में बढ़ती चीनी नजदीकी के बाद संसद की एक समिति ने कहा है कि भारत को ऐसे वक्त में अपनी कूटनीति प्रयासों को बढ़ाने और इसकी फिर से समीक्षा करने की जरूरत है. विदेश मंत्रालय से जुड़ी एक संसदीय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने सलाह दी है कि हमारे विकासात्मक गठजोड़ का विस्तार करने के लिए रणनीतिक दृष्टि तैयार करने और उसपर चलने की जरूरत है. इससे हमारे पड़ोस में अन्य क्षेत्रीय ताकतों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी.


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