उज्बेकिस्तान में भारत के इस राजपूत शासक को मुगल बादशाह का बताया नौकर; भड़के इतिहासकार
Maharaja Sawai Jai Singh discribed as Mughal Roler`s Servant: जय सिंह को उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) के एक वेधशाला संग्रहालय में नौकर करार देने को भारतीय इतिहासकारों ने इतिहास ज्ञान की कमी बताकर इसे भारत के लिए अपमानजनक करार दिया है.
नई दिल्लीः उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) के समरकंद की एक वेधशाला संग्रहालय में भारत के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय (Maharaja Sawai Jai Singh II) के बारे में ‘अपमानजनक’ शब्द का इस्तेमाल करने पर भारत में लोग गुस्से में हैं और इसपर ऐतराज जताया है. वहीं, इतिहासकारों ने इसे अनुवाद की गलती बताते हुए उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) के इतिहासकारों के ज्ञान पर सवाल उठाए हैं. तेलंगाना राष्ट्र समिति की एक विधान पार्षद के. कविता ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर के सामने समरकंद में उलुग बेग वेधशाला (Ulug observatory museum) के बाहर एक बोर्ड पर महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय (Maharaja Sawai Jai Singh II) के बारे में लिखे विवरण का मुद्दा उठाते हुए उसपर कड़ा ऐतराज जताया है. उन्होंने जयशंकर को चिट्ठी लिखकर इस मुद्दे को उज्बेकिस्तान सरकार के सामने उठाने की अपील की है. के. कविता तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी हैं.
उज्बेकिस्तान की वेधशाला में क्या लिखा है ?
उल्लेखनीय है कि उलुग बेग वेधशाला के बोर्ड पर 18वीं शताब्दी के राजपूत शासक महाराजा सवाई जय सिंह (Maharaja Sawai Jai Singh) का जिक्र ‘‘बोबुरी सुल्तान मुखमदशाह’’ जिसे आमतौर पर मिर्जा नसीरूददीन मुहम्मद शाह के रूप में जाना जाता है, के महल के खादिम यानी नौकर के रूप में किया गया है. शाह 13वें मुगल शासक थे, जिन्होंने 1719 से 1748 तक शासन किया था. बोर्ड पर लिखा है, ‘‘मिर्जा बोबुर के पूर्वज जिन्होंने भारत में 17वीं-18वीं सदी में हुकूमत किया, 18वीं सदी के पूर्वार्द्ध के दौरान महल के नौकर और खगोलविद सवाई जय सिंह के द्वारा जयपुर, बनारस और दिल्ली में वेधशालाएं बनाई गईं. ये भी लिखा है कि सवाई जय सिंह ने समरकंद वेधशाला के खगोलीय उपकरणों की नकल की थी.’’
इतिहासकार ने गलत तथ्य लिखे होने की बताई ये वजह
उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) की इस गलती पर जयपुर की एक इतिहासकार रीमा हूजा ने कहा, ‘‘यह तर्जुमा में गलती का मामला हो सकता है. हालांकि विवरण भारत के लिए अपमानजनक और आपत्तिजनक है. महाराजा सवाई जय सिंह किसी के नौकर नहीं थे. भारत सरकार को उज्बेकिस्तान को पत्र लिखना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि सही जानकारी दी जाए.’’ इतिहासकार चमन लाल ने जयपुर के राजा के लिए ‘नौकर’ शब्द के इस्तेमाल को इतिहास के ज्ञान की कमी का नतीजा बताया है.
कौन थे जय सिंह द्वितीय ?
गौरतलब है कि सन् 1688 में पैदा हुए जय सिंह द्वितीय (Maharaja Sawai Jai Singh II ) एक गणितज्ञ, सेना नायक, खगोलशास्त्री, वैज्ञानिक और एक कुशल योजनाकार थे. उन्हें आज के नियोजित शहर जयपुर और भारत भर में स्थापित पांच वेधशालाओं के लिए जाना जाता है. इतिहासकार हूजा के मुताबिक, ‘नौकर’ शब्द के गलत इस्तेमाल के अलावा, समरकंद वेधशाला संग्रहालय के बाहर बोर्ड पर अंग्रेजी में जयपुर और बनारस की स्पेलिंग भी गलत तरीके से लिखी है. इसके अलावा जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित पांच वेधशालाओं में से सिर्फ तीन का जिक्र किया गया है. हूजा ने कहा, ‘‘लाइन में अगर कालक्रम 17वीं-18वीं शताब्दी है, तो बाबर के वंशज होने चाहिए, न कि पूर्वज. इसके अलावा, उन्होंने समरकंद में खगोलीय उपकरणों की नकल नहीं की थी बल्कि वे इससे आगे निकल गए.’’ महज 11 साल की उम्र में राजगद्दी पर बैठने वाले जय सिंह द्वितीय की मौत 1743 में हुई थी.
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