कराचीः पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के विरूद्ध उनके धार्मिक आजादी का हनन लगातार जारी है. कई हिंदू परिवार के सदस्यों ने गुरुवार को पाकिस्तान के कराची शहर में जबरन धर्मांतरण और हिंदू लड़कियों और महिलाओं के विवाह के खतरे की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए विरोध मार्च का आयोजन किया. 
हिंदू संगठन पाकिस्तान दारावर इत्तेहाद (पीडीआई) द्वारा कराची प्रेस क्लब और सिंध विधानसभा भवन के प्रवेश द्वार के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया गया था. प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां और बैनर लिए हुए थे, जिसमें सरकार से हिंदू लड़कियों और महिलाओं के जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ रुके हुए एक विधेयक को पास करने की मांग की गई थी. लेकिन दुर्भाग्य से, प्रदर्शनकारियों की दलीलों को सुनने के लिए प्रांतीय सरकार का कोई भी प्रतिनिधि बाहर नहीं आया. 

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बहुत से लोगों को इस अपराध के बारे में पता भी नहीं है  
पीडीआई के एक सदस्य ने कहा, " हम सिंधी हिंदुओं के सामने इस बड़ी समस्या को उजागर करना चाहते थे, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां हमारी युवा लड़कियों को दिन के उजाले में अपहरण कर लिया जाता है और उन्हें इस्लाम में धर्मांतरण के लिए मजबूर किया जाता है. फिर बड़े मुस्लिम पुरुषों से उनकी शादी करा दी जाती है.’’ उन्होंने कहा कि गुरुवार के विरोध ने कुछ प्रभाव छोड़ा है, क्योंकि बहुत से लोगों को इस अपराध के बारे में पता भी नहीं था. 


दो बार विधानसभा में खारिज हो चुका है बिल 
गौरतलब है कि हाल के महीनों में आंतरिक सिंध में ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है. निचली अदालतों में न्याय और अपनी बेटियों, बहनों और पत्नियों की वापसी के लिए प्रभावित माता-पिता के आवेदनों की बाढ़ आ गई है. 2019 में सिंध प्रांत के विभिन्न जिलों में हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन का मामला सिंध विधानसभा में उठा था. इससे जुड़े एक प्रस्ताव पर बहस भी हुई थी और कुछ सांसदों की आपत्तियों पर संशोधन के बाद सर्वसम्मति से इसे पास भी किया गया था. इसमें कहा गया था कि इसे सिर्फ हिंदू लड़कियों तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए. लेकिन जबरन धर्मांतरण को अपराध ठहराने वाले बिल को बाद में विधानसभा में खारिज कर दिया गया. इसी तरह का बिल फिर से प्रस्तावित किया गया था, लेकिन 2021 में इसे दोबारा खारिज कर दिया गया.


इस्लाम में प्रतिबंधित है जबरन शादी 
जबरन धर्मांतरण और जबरन शादी इस्लाम मजहब में प्रतिबंधित किया गया है. इसके बावजूद पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल लगभग 1,000 लड़कियों को जबरन इस्लाम में दाखिल करा दिया जाता है. गौरतलब है कि पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है. मुस्लिम बहुल इस देश में लगभग 75 लाख हिंदू रहते हैं. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के मुताबिक, पाकिस्तान की 20.7 करोड़ आबादी में मुसलमानों की तादाद लगभग 96 फीसदी है, हिंदू 2.1 फीसदी और ईसाई लगभग 1.6 फीसदी हैं. पाकिस्तान की ज्यादातर हिंदू आबादी सिंध प्रांत में रहती है, जहां वे अपने मुस्लिम निवासियों के साथ संस्कृति, परंपराओं, भाषा और विरासत को साझा करते हैं.


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