काबुलः अफगानिस्तान में तालिबान सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालयों में लड़कियों पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर गुरुवार को पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है. निदा मोहम्मद नदीम ने कहा, ’’हमने विश्वविद्यालयों में लड़के-लड़कियों के मिश्रण से बचने के लिए इस सप्ताह के शुरू में फरमान जारी किया था और पढ़ाए जा रहे कुछ विषयों में इस्लाम के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया था, इसलिए ये फैसला लिया गया है.
तालिबान शासकों ने इस सप्ताह की शुरुआत में देश भर में महिलाओं को तुरंत और अगली सूचना तक निजी और सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में जाने से रोकने का आदेश दिया था. उच्च शिक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता जियाउल्लाह हाशमी ने गुरुवार को एक ट्वीट में कहा कि इस कदम की व्याख्या करने के लिए इस सप्ताह एक समाचार सम्मेलन आयोजित किया जाएगा.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दुनिया भर के देशों ने फैसले की निंदा की है 
तालिबान के इस फैसले का दुनिया भर में विरोध हो रहा है. भारत सहित पाकिस्तान, संयुक्त राष्ट्र संघ, अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की और सउदी अरब ने भी इसकी आलोचना की है.  तुर्की और सऊदी अरब विश्वविद्यालयों में महिलाओं को प्रतिबंधित करने के तालिबान के फैसले की निंदा करने वाले नवीनतम मुस्लिम-बहुसंख्यक देश बन गया है. 

विरोध में सड़कों पर उतरी महिलाएं 
तालिबान के इस फैसले के बाद महिलाओं ने गुरुवार को काबुल की सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन किया. कई अफगान क्रिकेटर्स ने विश्वविद्यालय प्रतिबंध की निंदा की है. अफगानिस्तान में क्रिकेट बेहद लोकप्रिय खेल है. एक क्रिकेटर राशिद खान ने ट्वीट किया कि महिलाएं समाज की नींव हैं. उन्होंने लिखा, “एक समाज जो अपने बच्चों को अज्ञानी और अशिक्षित महिलाओं के हाथों में छोड़ देता है, वह अपने सदस्यों से सेवा और कड़ी मेहनत करने की उम्मीद नहीं कर सकता है.“ 

महिलाओं पर प्रतिबंध लगाता है तालिबान  
शुरू में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने वाले एक अधिक उदार नियम का वादा करने के बावजूद, तालिबान ने अगस्त 2021 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से इस्लामी कानून, या शरिया की अपनी व्याख्या को व्यापक रूप से लागू किया है. रोजगार के ज्यादातर क्षेत्रों और उन्हें सार्वजनिक रूप से सिर से पैर तक के कपड़े पहनने का आदेश दिया. महिलाओं के पार्क और जिम में जाने पर भी पाबंदी है.

मुस्लिम देशों ने फैसले पर जताई  हैरत 
तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लु ने गुरुवार को कहा कि प्रतिबंध न तो इस्लामिक था और न ही मानवीय.“ कावुसोग्लू ने तालिबान से अपने फैसले को उलटने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा, “महिला शिक्षा में क्या नुकसान है? इससे अफगानिस्तान को क्या नुकसान होता है?” “क्या कोई इस्लामी स्पष्टीकरण है? हमारा धर्म इस्लाम, शिक्षा के खिलाफ नहीं है, इसके विपरीत, यह शिक्षा और विज्ञान को प्रोत्साहित करता है.’’ सऊदी विदेश मंत्रालय ने अफगान महिलाओं को विश्वविद्यालय शिक्षा से वंचित किए जाने पर आश्चर्य और खेद व्यक्त किया है.  मंत्रालय ने बुधवार देर रात एक बयान में कहा कि यह फैसला “सभी इस्लामिक देशों में हैरान करने वाला है.“ 


Zee Salaam