Pakistani Army Chief: पाकिस्तान की नई सरकार के लिए अपने कार्यकाल के सबसे मुश्किल फैसलों में से एक लेने का समय लगभग आ गया है. पाकिस्तान के अगले सेना प्रमुख के तौर पर किसको नियुक्त किया जाए. पाकिस्तान मुस्लिम लीग के एक सीनियर नेता और यूनियन कैबिनेट मिनिस्टर ने पर्दे के पीछे की बातचीत का संकेत देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अगस्त के आखिर तक और नियुक्ति पर बातचीत शुरू कर सकते हैं.


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पाकिस्तानी आर्मी चीफ कैसे चुना जाता इसको लेकर अगर बात करें तो जनरल हेड क्वॉर्टर्ज (GHQ) चार से पांच सबसे सीनियर अफसरों के नाम उनकी फाइल के साथ डिफेंस मिनिस्ट्री को भेजता है. जिसके बाद यह फाइल प्रधानमंत्री के पास पहुंचती है. पीएम दफ्तर तक यह फाइल आने के बाद कैबिनेट में मीटिंग में नामों चर्चा होती है. इसके बाद प्रधानमंत्री रिटायर्ड होने वाले आर्मी चीफ से एक गैर रस्मी मुलाकात करते हैं. इसके बाद कुछ और अहम कदम उठाए जाने के बाद ऐलान कर दिया जाता है. 


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मौजूदा आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा, जो 2016 में नियुक्त किए गए थे, नवंबर के आखिरी हफ्ते में रिटायर्ड होने वाले हैं. उनका कार्यकाल अगस्त में प्रधानमंत्री इमरान खान के ज़रिए बढ़ा दिया गया था लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी पुनर्नियुक्ति पर कानून बनाने की मांग की.


लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर


नए आर्मी चीफ के लिए जब नामों पर चर्चा होगी तो सबसे पहला नाम लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर का होगा. क्योंकि वो इस लाट में सबसे सीनियर अफसर होंगे. भले ही उन्हें सितंबर 2018 में टू-स्टार जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया था. हालांकि आसिम को लेकर कुछ तकनीकी खामियां हैं, जिसके चलते यह भी हो सकता है कि उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी ना मिले. 


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लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा


साहिर शमशाद मिर्जा का संबंध सिंध रिजिमेंट से है. पाकिस्तान की जानिब से इनको देखा जाए तो साहिर शमशाद के की खूब तारीफ की जाती है. उन्होंने पिछले 7 वर्षों के दौरान अहम लीडरशिप पदों पर भी काम किया है. उनको जनरल राहेल शरीफ के आखिरी दो वर्षों में डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑप्रेशंस (DGMO) की हैसियत से पहचाना जाना लगा था. वो राहेल शरीफ की कोर कमेटी का भी हिस्सा रहे हैं. 


लेफ्टिनेंट जनरल अज़हर अब्बास


जनरल अज़हर अब्बास की बात करें तो उन्हें भारत के मामलों पर अच्छा तजुर्बा है. वो इस समय चीफ ऑफ जनरल स्टॉफ हैं. अज़हर अब्बास ऑप्रेशंस और इंटेलीजेंस डायरेक्टिवरेट्स की निगरानी करते हुए फौज को चलाते हैं. इससे पहले वो 10 को कमांड कर चुके हैं. बता दें कि 10 को कमांड रावलपिंडी में तैनात होती है लेकिन इसका असली मकसद कश्मीर को निशाना बनाना होना होता है. अज़हर अब्बास भी पूर्व आर्मी चीफ राहेल शरीफ के पर्सनल स्टाफ अफसर भी थे. 



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