इस्लामाबादः पाकिस्तान लैंगिक समानता के मामले में एक बेहद पिछड़ा हुआ देश है. यहां महिलाओं से भदेभाव चरम सीमा पर है. कट्टरपंथी ताकतें महिलाओं के अधिकारों में कटौती कर उन्हें घरों की चहारदीवारी में कैद कर देना चाहते हैं. ताजा मामला पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत का है, जहां महिलाओं के पार्क में जाने पर पाबंदी की मांग की गई है.


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एक स्थानीय उलेमा की अपील पर बड़ी तादाद में लोगों ने, जिनमें ज्यादातर मौलवी और मदरसा के छात्र शामिल थे, पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बन्नू शहर में मकामी प्रशासन पर सिटी फैमिली पार्क को बंद करने का दबाव बनाने के लिए प्रदर्शन किया.डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध-प्रदर्शन से पहले, उलेमा समिति के प्रमुख मौलाना अब्दुल गफ्फार की सदारत में एक स्थानीय मस्जिद में एक बैठक आयोजित की गई थी. बाद में, प्रतिभागियों ने एक जुलूस निकाला, जो विभिन्न बाजारों से होते हुए प्रेस क्लब की इमारत के पास जमा हुआ. 

बन्नू तहसील परिषद के सद्र इरफान खान दुरार्नी, मौलाना एजाजुल्लाह हक्कानी, मौलाना अहमदुल्ला हक्कानी, मौलाना अजमतुल्लाह और मलिक राहत अली खान भी इस विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुए. प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए पार्क और जुलूस मार्ग पर भारी तादाद में पुलिस बल तैनात कर रखा था. विरोध करने वाले नेताओं ने इल्जाम लगाया है कि फैमिली पार्क की स्थापना से क्षेत्र में अश्लीलता को बढ़ावा मिला है. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि महिलाओं का मनोरंजन स्थलों पर जाना उन्हें कबूल नहीं है, और उन्होंने स्थानीय प्रशासन से पार्क को बंद करने को कहा है.


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