Saudi Arbia: सऊदी अरब: सऊदी अरब अपने सख्त नियमों और कानून के लिए दुनियाभर में मशहूर है.  किसी ना किसी ज़रिए से आपको सऊदी अरब के कानूनों के बारे में सुनने या पढ़ने को मिल जाएगा. यहां इस तरह की सज़ाएं दी जाती हैं कि जानकर दिल दहल जाता है. यहां पर चोरी करने की सज़ा में मुजरिम का हाथ काट दिया जाएगा. सऊदी अरब में सख्त इस्लामिक क़ानून के तहत मर्डर, ड्रग ट्रैफिकिंग, रेप, और रॉबरी जैसे मामलों में मौत की सज़ा दी जाती रही है. 


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इनमें से ज्यादातर लोगों को भीड़ के बीच सिर कलम करके मौत दी जाती रही है. सऊदी मौत की सज़ा देने वाले मुल्कों में नंबर चार पर आता है. यहां पर भीड़ के बीच में ही मुजरिम का गला काटकर मौत की सज़ा दी जाती है. इतना ही नहीं यहां पर किसी को भी ख़राब फोटोज़ या फिर वीडियोस देखने की इजाज़त नहीं है. अगर कोई ऐसा करते हुए पकड़ा गया तो इसके लिए भी काफी सख़्त सज़ा की तज़वीज़ है. 


फिलहाल ख़बर ये है कि एक एनजीओ ने दावा किया है कि सऊदी अरब में बीते 10 दिनों में 12 लोगों का गला काटकर सजा-ए-मौत दी गई. सऊदी अरब में इस तरह की सज़ा देना कोई नई बात तो नहीं है फिर ये ख़बर क्यों अहम है? दरअसल ये ख़बर इसलिए अहम है क्यों सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने मौत की सज़ा कम करने का दावा किया था. उन्होंने कहा था कि वो ग़ैर हिंसक अपराधों में मौत की सज़ा नहीं देगा. लिहाज़ा रेप्रीव नाम की एनजीओ की इस ख़बर के दावे पर यक़ीन करें तो क्राउन प्रिंस का वादा खोखला निकला.


फांसी नहीं, गला रेतकर दी गई मौत की सज़ा- NGO
रेप्रीव ने कहा कि सऊदी अरब ने हिंसा के एक नए दौर में 10 दिनों में 12 लोगों का गला काटकर सज़ा-ए-मौत दी गई. ये सभी मर्द ड्रग्स के जुर्म में पकड़े गए थे. जबकि पिछले दिनों क्राउन प्रिंस ने इस तरह की सज़ा में कटौती का वादा किया था लेकिन उसके बावजूद आरोपियों का बेरहमी से क़त्ल कर दिया गया. रेप्रीव ने कहा कि इन आरोपियों को नशीली दवाओं के जुड़े जुर्म के लिए मौत की सज़ा सुनाई गई थी. 


ग़ौरतलब है कि  रेप्रीव नाम की इस एनजीओ ने इस हफ़्ते एक डेटा कलेक्ट किया जिसमें साफ होता है कि ज़्यादातर आरोपियों के सिर तलवार से काट दिए गए. रेप्रीव ने बताया है कि मारे गए लोगों में से तीन पाकिस्तानी, चार सीरियाई, दो जॉर्डन और तीन सऊदी अरब के शहरी थे. एनजीओ ने कहा कि जॉर्डन के एक दीगर शख़्स को कथित तौर पर जेल विंग में ट्रांसफर कर दिया गया था और जुमे को उसे फांसी दी जानी थी. यानी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की जानिब से अपने ज्यूडिशियरी सिस्टम में सुधार के वादों के बावजूद मश्रिक़े-वुस्ता(मिडल ईस्ट) के मुल्क़ में ऐसा कानून जारी है.