दुबईः मिस्र मूल के प्रख्यात मौलवी यूसुफ अल-कारादावी का कतर का देहांत हो गया. वह 96 साल के थे. करजावी की आधिकारिक वेबसाइट पर सोमवार को उनके निधन की जानकारी शेयर की गई है. करजावी को अरब क्षेत्र में प्रभाव वाले ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ के आध्यात्मिक नेता के तौर पर देखा जा रहा था. मिस्र और खाड़ी में 2011 के अरब स्प्रिंग विद्रोह के वह अग्रणी नेता रहे हैं. 2013 में मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड के नेतृत्व वाली सरकार का सेना द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद से वह कतर में निर्वासन में जी रहे थे.

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अरब देशों में जला दी क्रांति की मशाल 
मिस्र में जन्मे, करादावी ने अपनी ज्यादातर जिंदगी कतर में बिताया था. वह कतर के अल जज़ीरा नेटवर्क पर नियमित रूप से आते थे, जिस वजह से अरब दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावशाली सुन्नी मुस्लिम मौलवियों में से एक बन गए थे. उनके उपदेशों ने अरब देशों में क्रांति की नई मशाल जला दी थी , जिसकी वजह से  खाड़ी सहयोगियों ने 2017 में कतर के खिलाफ नाकाबंदी कर क़रादावी को आतंकवादी घोषित कर दिया था. काहिरा की अजहर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले कारादावी को एक  उदारवादी नेता के तौर पर देखा जाता था. 

फिलीस्तीन की आजादी चाहते थे करादावी
2003 के अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण के बाद इराक में, उन्होंने गठबंधन बलों पर हमलों का समर्थन किया और उन्होंने 2000 में शुरू हुए एक विद्रोह के दौरान इजरायल के लक्ष्यों के खिलाफ फिलीस्तीनी आत्मघाती बमबारी का समर्थन किया. कई पश्चिमी राज्यों ने उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया. करादावी एक युवा के रूप में मुस्लिम ब्रदरहुड में शामिल हुए थे. इस्लाम की वकालत करने वाले संगठन ब्रदरहुड को निरंकुश अरब नेताओं द्वारा हमेशा एक खतरे के रूप में देखा गया. 2011 के अरब विद्रोहों के बाद करादावी की लोकप्रियता दुनियाभर में बढ़ गई थी. राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के पतन के बाद काहिरा का दौरा करते हुए, उन्होंने तहरीर स्क्वायर पप दिए अपने भाषण में कहा था कि मिस्रियों से डर दूर हो गया है, उन्होंने नए जमाने के फिरौन को खत्म कर दिया है. 
 


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