India Born Pak Sufi Saint Dead Body: सुप्रीम कोर्ट ने सूफी संत हजरत शाह मोहम्मद अब्दुल मुक्तदिर शाह मसूद अहमद का पार्थिव शरीर बांग्लादेश से भारत लाने की अपील से संबंधी एक अर्जी शुक्रवार को रद्द कर दी. चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि, सूफी संत के पाकिस्तानी शहरी होने की वजह से उनके पार्थिव शरीर को लाने की अपील करने का संवैधानिक रूप से लागू करने योग्य कोई अधिकार नहीं है. बेंच ने सवाल किया, "वह पाकिस्तानी शहरी थे, आप भारत सरकार से उनका पार्थिव शरीर हिन्दुस्तान लाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?"


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ऐसी अर्जी पर गौर करने में परेशानी: SC
याचिकाकर्ता दरगाह हजरत मुल्ला सैयद की तरफ से पेश वकील ने कहा कि, संत की पाकिस्तान में कोई फैमिली नहीं है, जबकि यूपी की दरगाह में वह सज्जादा-नशीन (आध्यात्मिक प्रमुख) थे. वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि संत की पैदाइश उस वक्त इलाहाबाद कहे जाने वाले प्रयागराज में हुई था और वह पाकिस्तान चले गए. 1992 में उन्हें पाकिस्तानी शहरियत मिल गई. बेंच ने कहा, "उन्हें 2008 में प्रयागराज में स्थित दरगाह हजरत मुल्ला सैयद मोहम्मद शाह की दरगाह का सज्जादा नशीन मुंतखब किया गया था. उन्होंने दरगाह में दफन होने की ख्वाहिश जाहिर करते हुए 2021 में वसीयत की थी. ढाका में उनकी मृत्यु हो गई, जहां उन्हें दफना दिया गया. ऐसी अर्जी पर गौर करने में परेशानिया हैं".



"कोई संवैधानिक अधिकार नहीं"
बेंच ने कहा, "हजरत शाह पाकिस्तानी शहरी थे और कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. पार्थिव शरीर को कब्र से निकालने के सिलसिले में कई परेशानियां हैं. इस अदालत के लिए किसी विदेशी का पार्थिव शरीर भारत लाने की हिदायात जारी करना सही नहीं होगा. अर्जी को खारिज करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हजरत शाह एक पाकिस्तानी नागरिक थे और उनके पास कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. बता दें कि, सूफी संत हजरत शाह मुहम्मद अब्दुल मुक्तदिर शाह मसूद अहमद का 2022 में बांग्लादेश में इंतेकाल हो गया था. उनके पार्थिव शरीर को यूपी के प्रयागराज में दफनाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली अर्जी SC में दाखिल की गई थी जिसे CJI ने रद्द कर दिया.