तालिबान ने पूर्व राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और NSA को किया माफ, कहा- वे सभी वतन लौट सकते हैं
तालिबान के वरिष्ठ नेता खलील उर रहमान हक्कानी ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि तालिबान ने निर्वासित राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह से हमारी कोई दुश्मनी नहीं. सभी अफगानी भाई-भाई हैं, वे चाहें तो वतन लौट सकते हैं.
नई दिल्लीः तालिबान ने निर्वासित राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह को माफी देने का ऐलान किया है. चरमपंथी संगठन ने कहा है कि अगर दोनों नेता चाहें तो अफगानिस्तान वापस लौट सकते हैं. गौरतलब है कि पिछले रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इससे पहले ही देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी मुल्क छोड़कर भाग गए. वहीं, उनके साथ उनका परिवार और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब भी देश छोड़कर भाग गए थे और सभी ने यूनाइटेड अरब अमीरात में शरण ली है. पाकिस्तान की जियो न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में तालिबान के वरिष्ठ नेता खलील उर रहमान हक्कानी ने कहा कि अशरफ गनी, अमरुल्ला सालेह और साबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्लाह मोहिब और तालिबान के बीच किसी तरह की दुश्मनी नहीं है. हक्कानी ने कहा कि हम अशरफ गनी, अमरुल्लाह सालेह और हमदुल्लाह मोहिब को माफ करते हैं. इसमें आम आदमी से हमारे खिलाफ जंग लड़ने वाले जनरल भी शामिल हैं.
मुल्क छोड़कर जाने वालों से देश में रहने की अपील
तालिबानी नेता ने अफगानिस्तान से भाग रहे लोगों से अपील की है कि वे मुलक छोड़ कर नहीं जाएं. उन्होंने कहा कि दुश्मन इस बात का प्रचार करने में जुटा हुआ है कि लोगों से बदला लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि ताजिक, बलोच, हजारा और पश्तून सभी हमारे भाई हैं. सभी अफगान हमारे भाई हैं और इसलिए वे मुल्क वापस लौट सकते हैं. हमारी दुश्मनी की सिर्फ एक वजह मुल्क के सियासी निजा को बदलने की महत्वकांक्षा थी और वह निजाम अब बदल चुका है.
सभी मुस्लिम मुल्क आपस में साझेदारी रखें
हक्कानी ने कहा कि तालिबान वे लोग नहीं थे जिन्होंने अमेरिका के खिलाफ जंग लड़ा. अमेरिका के खिलाफ हथियार इसलिए उठाया गया, क्योंकि उसने हमारी मातृभूमि पर हमला और कब्जा किया था. खलील उर रहमान हक्कानी ने कहा, अमेरिकी हमारे खिलाफ और हमारी मातृभूमि पर हथियारों का इस्तेमाल कर रहे थे. ऊपर वाले ने तालिबान को अमेरिकी हथियार दिए, ताकि जीत मिल सके. उन्होंने कहा कि तालिबान ने अपने दुश्मनों पर एक बड़ी जीत हासिल की है. अफगानिस्तान सेना में 3,50,000 सैनिक शामिल थे और उन्हें अमेरिका, नाटो और दीगर मुल्कों की उन्हें हिमायत हासिल थी. इसके बाद भी हमें जीत मिली है. हक्कानी ने कहा कि तालिबान चाहता है कि सभी मुस्लिम देश आपस में साझेदारी रखें.
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