Muslims in England & Wales: इंग्लैंड एंड वेल्स में ईसाइ मज़हब के मानने वालों की तादाद में लगातार कमी हो रही है. हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक ईसाई मज़हब को मानने वाले लोगों की तादाद 50 फीसद से भी कम हो गई है. पहली ऐसा हुआ है कि देश का राष्ट्रीय धर्म 50 फीसद से कम पर आया है. वहीं इस्लाम मज़हब के मानने वालों की तादाद में इज़ाफा हो रहा है. 


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मंगलवार को जारी किए गए 2021 की जनगणना के आंकड़ों के 46.2 फीसद लोग खुद का ईसाई धर्म को मानने वाला कह रहे हैं. वहीं जबकि दस साल पहले यानी 2011 में यह तादाद 59.3 फीसद थी. वहीं इस्लाम मज़हब को मानने वालों के अनुबात की बात करें तो साल 2010 में की गई जनगणना के मुताबिक मुसलमानों की तादाद 4.9 फीसद थी. लेकिन 2021 के आंकड़ों में पता चला कि 6.5 फीसद लोग इस्लाम मज़हब को मानते हैं. 



इसके अलावा हिंदू धर्म के मानने वालों की तादाद की बात करें तो पिछले 10 साल पहले इनकी तादाद 1.5 फीसद थी. लेकिन ताज़ा आंकड़ों में हिंदुओं की तादाद 1.7 फीसद है. हालांकि जनगणना के मुताबिक किसी भी धर्म को ना मानने वालों की तादाद की बात करें तो उसमें भी भारी इज़ाफा हुआ है. 2011 की जनगणना के मुताबिक 25 फीसद लोग ऐसे थे जो किसी भी धर्म को नहीं मानते थे लेकिन 2021 के आंकड़ों में यह तादाद लगभग 37 फीसद पहुंच गई है. 


इस हिसाब से देखें तो एक दशक में मुसलमानों की तादाद 44 फीसदी बढ़ी है. ईसाइयों की आबादी में 13.1 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. यह रिपोर्ट ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स ने जारी की है. ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक साल 2001 में ब्रिटेन के सेंसस में मज़हब से जुड़ा सवाल एड किया गया था. हालांकि इसका जवाब देना या ना देने नागरिक की मर्ज़ी पर है. वो चाहे तो इस सवाल का जवाब ना दे. यह पूरी तरह से उसकी मर्ज़ी पर है, लेकिन तकरीबन 94% लोगों ने इस सवाल का जवाब दिया है. जिसके नतीजे में ये आंकड़े सामने आए हैं. 


ब्रिटेन की एक मज़हब संस्था, ह्यूमनिस्ट्स यूके के चीफ एग्जिक्यूटिव एंड्रयू कॉपसन ने कहा कि इन आंकड़ों का सबसे अहम पहलू यह है कि जनसंख्या अपने राज्य से कितनी अलग है. किसी भी धर्म को ना मानने वालों की आबादी होने के बावजूद, यूरोप के किसी दूसरे मुल्क में ऐसी मज़हबी व्यवस्था नहीं है, जो कानून और सार्वजनिक नीति के मामले में हमारे पास है.


इंग्लैंड में मौजूद एक चर्च के सबसे सीनियर पादरियों में से एक ने कहा कि आंकड़े बहुत ज्यादा हैरान कर देने वाले नहीं हैं, लेकिन ईसाइयों के लिए एक चुनौती है कि वे अपने विश्वास को कैसे बढ़ावा दें, अब तक जो करते आए थे उससे ज्यादा करें. उन्होंने आगे कहा कि हम उस दौर से आगे निकल गए हैं जब बहुत से लोग खुद-ब-खुद ईसाइयों के तौर पर पहचाने जाते थे. 


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