क्या उइगर मुस्लिमों पर जुल्म कर रहे चीन के साथ खड़ा है भारत? जानिए वोटिंग से क्यों बनाई दूरी
चीन के शिंजियांग में मानवाधिकारों के हक में लाए गए प्रस्ताव पर भारत समेत कई देशों ने वोटिंग के दौरान गैर मौजूदगी दर्ज कराई. इस पर अपोज़िशन ने भारत को घेरना शुरू कर दिया. जिसके बाद विदेश मंत्रालय की तरफ से बयान आया है और बताया है कि आखिर क्यों भारत ने वोटिंग से दूरी बनाई.
नई दिल्ली: चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के मानवाधिकार को लेकर UNHRC में पेश किया गया प्रस्ताव बड़े फर्क के साथ गिर गया है. 47 मेंबर्स वाली इस परिषद में चीन के खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव पर की हिमायत में सिर्फ 17 वोट पड़े जबकि 19 देशों ने चीन का साथ देते हुए प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया है. इसके अलावा भारत, मलेशिया, मेक्सिको और यूक्रेन जैसे देश इस प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान सदन से गायब रहे.
वोटिंग के दौरान भारत की गैर मौजूदगी पर सवाल खड़े हो गए हैं और अपोज़ीशन ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया है. अपोज़िशन पार्टियों ने सरकार पर चीन से डरने का आरोप लगाया है. कांग्रेस के दिग्गज नेता मनीष तिवारी ने कहा कि भारत सरकार चीनी घुसपैठ पर पार्लियामेंट में चर्चा कराने के लिए राज़ी नहीं होगी. इसके अलावा अब शिंजियांग में मानवाधिकारों पर वोटिंग के दौरान यूएनएचआरसी से गैर मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भारत को बोलना चाहिए और अपने पड़ोसी देश से डरना नहीं चाहिए.
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भारत सरकार ने क्या कहा
दरअसल आपके मन में भी यह सवाल आ रहा होगा कि जब शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों पर जुल्म हो रहा है तो भारत इसके खिलाफ क्यों नहीं खड़ा हुआ? तो इसका जवाब सरकार की तरफ से दिया गया है और बताया है वोटिंग के दौरान भारत ने अपनी गैर मौजूदगी दर्ज कराई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस बारे में कहा है कि हिंदुस्तान इस मसले पर बातचीत की हिमायत करता है. साथ ही शिनजियांग में लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए और उन्हें इसकी गारंटी दी जानी चाहिए.
क्यों नहीं की वोटिंग
बागची ने आगे बताया कि भारत मानवाधिकारों की हिमायत करता है. वहीं वोटिंग ना करने पर उन्होंने कहा कि भारत का वोटिंग ना करने का फैसला एक नीति के मुताबिक है, जो फ़ैसला किया वो लंबे वक्त से अपनाई गई नीति के मुताबिक है.