ऋषि, मुनि, साधु और संतों में है बड़ा अंतर, शर्त लगा लें ज्‍यादातर को नहीं होगा पता!
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ऋषि, मुनि, साधु और संतों में है बड़ा अंतर, शर्त लगा लें ज्‍यादातर को नहीं होगा पता!

Difference between monk and sage in hindi: भारत साधु-संतों, ऋषि-मुनियों का देश है. साथ ही भारत में गुरु-शिष्‍य परंपरा बहुत पुरानी है. आमतौर पर लोग साधु, संत, ऋषि और मुनि को एक ही श्रेणी में रख लेते हैं, जबकि ये अलग-अलग हैं. 

ऋषि, मुनि, साधु और संतों में है बड़ा अंतर, शर्त लगा लें ज्‍यादातर को नहीं होगा पता!

Difference between monk and Saint in hindi: सनातन धर्म में साधु, संतों, गुरुओं का बड़ा महत्‍व है. वहीं ऋषि-मुनियों का अस्तित्‍व तो सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग आदि सभी में रहा है. राजा-महाराजाओं को ऋषि-मुनि शिक्षा देते हैं, यहां तक कि राज्‍य चलाने में भी वे राजाओं को मार्गदर्शन दिया करते थे. साधु-संतों, ऋषि-मुनियों ने हमेशा से समाज को सही राह दिखाई है और उन्‍हें धर्म की ओर मोड़ा है. महान ग्रंथों की रचनाएं की हैं, जो युगों-युगों तक लोगों का मार्गदर्शन करते रहे हैं और आज भी कर रहे हैं. साधु-संतों, ऋषि-मुनियों में गहरी आस्‍था रखने वाले, उन्‍हें अपना गुरु मानने वाले अधिकांश लोग भी इनमें अंतर नहीं कर पाते हैं. जबकि इन चारों में काफी अंतर है. 

बहुत फर्क है ऋषि, मुनि, साधु और संतों में 

ऋषि, मुनि, साधु और संत का नाम सुनते ही जेहन में एक जैसे जटाधारी, तिलक लगाए सन्‍यासियों की तस्‍वीर जेहन में आ जाती है. साथ ही लोग इन सभी को भी एक जैसा मान लेते हैं. जबकि साधु, संत, ऋषि और मुनि में काफी भिन्‍नताएं होती हैं, उनके कर्म और भगवान की भक्ति का तरीका काफी अलग होता है. आज इनमें फर्क जानते हैं. 

ऋषि : ऋषि एक उपाधि होती है जो उन लोगों को दी जाती है जो वैदिक रचनाओं का निर्माण करते हैं. ऐसे लोग जो क्रोध, लोभ, मोह, माया, ईर्ष्या और अहंकार से खुद को मुक्‍त कर लेते हैं. साथ ही कड़ी तपस्‍या करते हैं और अपनी रचनाओं से युगों-युगों तक समाज को मार्ग दिखाते हैं. 

मुनि : मुनि ऐसे लोगों को कहा जाता है जो वेदों और धार्मिक ग्रंथों के ज्ञानी होते हैं. वे इन ग्रंथों का अध्‍ययन करके उन पर गहन चिंतन करते हैं. उन्‍हें जीवन में उतारते हैं. साथ ही मुनि कम बोलते हैं या अक्‍सर मौन धारण किए रहते हैं. ऋषि कठोर तपस्या करते हैं. उन्हें मुनि की उपाधि दी जाती है.

संत : संत की उपाधि उन लोगों को दी जाती है, जो सत्य का अनुसरण करते हैं. ये लोग आत्‍मज्ञानी और सत्यवादी होते हैं. संत रविदास, संत तुलसीदास, संत कबीर दास वे संत थे जिन्होंने संसार और अध्यात्म में सामंजस्य बना कर रखा था. साथ ही अपनी रचनाओं के जरिए लोगों को सही और गलत का पाठ पढ़ाया था. उनके कर्मों को देखते हुए उन्‍हें संत की उपाधि दी गई थी. 

साधु : वहीं साधु उन लोगों को कहा जाता है जो साधना में लीन रहते हैं. वे काम, क्रोध, मोह, लोभ से दूर रहते हैं और सन्‍यासी का जीवन जीते हैं. ये लोग धर्म ग्रंथ पढ़ने की बजाय अपनी साधना के जरिए ज्ञान अर्जित करते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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