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  • Sarva Mangala Mishra

    सर्वमंगला मिश्रा

Stories by Sarva Mangala Mishra

आरक्षण: सम्मान या अपमान?

reservations

आरक्षण: सम्मान या अपमान?

स्वतंत्रता से पहले जब देश पराधीन था तब दासत्व के जीवन का बोध आसानी से हो जाता था। अंग्रेज 'डिवाइड एंड रुल' की नीति अपनाकर भारतवासियों पर 300 वर्ष तक शासन किये। उन्होंने जाति ,धर्म जैसी चीजों को बारीकी से समझा और हमें बांट दिया। देश स्वतंत्र हुआ पर, अपनों ने आपस में ऊंच–नीच की सीमारेखा खींच दी। ऊंची जाति, नीची जाति की रुपरेखा में जीवन उलझ गया। अहं की भावना ने उच्चवर्ग और निम्नवर्ग को जन्म दिया जिससे दासत्व खत्म नहीं हो पाया। 1882 में महात्मा ज्योतिराव फूले ने शिक्षा सभी तबकों के लिए अनिवार्य करने की मांग उठाई। तब हंटर कमीशन ने इसे अपनी मंजूरी दी। जिससे शिक्षा और सरकारी नौकरी लिए पाने का हक सभी वर्ग को समान तौर पर मिल सके। गांधीजी ने 1932 में ही इसकी पुष्ट नींव रख दी थी। समाज के अंदर पनपे भेदभाव, असुरक्षा और निम्न स्तर के जीवन से छुटकारा पाने की दृष्टि से आरक्षण का जन्म हुआ।

Sep 30,2015, 17:07 PM IST

किसकी राह देख रहा बिहार?

2015 Bihar Asembly elections

किसकी राह देख रहा बिहार?

बिहार प्रारम्भ से ही क्रांति प्रदेश रहा है। संघर्ष के दौर का हर शुभारंभ बिहार की भूमि से होता आया है। परिवर्तन की चिनगारी यहीं से सुलगी है। इस माटी का रंग चाहे जो हो पर यहां से क्रांति की बुलंदी परवान ही चढ़ी है। गांधी मैदान से निकली हर ज्वाला दिल्ली की सत्ता को हिलाने में अमूमन कामयाब रही है। देश की आजादी से लेकर आजादी के बाद एक छत्र राज को तोड़ने का जज्बा बिहार की माटी ने ही दिखाया। इंदिरा गांधी को लुकी-छिपी चुनौती ही नहीं दी बल्कि ललकारा- जे पी आन्दोलन ने। देश के कोने कोने से बहती हवा ने एक नारा आकाश में गुंजायमान कर दिया। हर युवा से लेकर बजुर्ग तक ने जे पी आन्दोलन में शिरकत की।

Sep 17,2015, 15:22 PM IST

सरस बनारस

Banaras

सरस बनारस

मैं अपना नाम नहीं बताउंगा। सिर्फ अपने बारे में बताउंगा और आप मुझे पहचान लेंगे। आजकल वैसे तो मेरा नाम हर जुबां पर है जिससे दिल बाग- बाग रहता है। मेरे कई नाम हैं कई पहचान है, कई खासियत है। विश्वप्रसिद्ध हूं अपनी खूबियों लिए। मेरी उम्र का तो पता नहीं पर भोलेनाथ की तरह अजन्मा सा हूं। यहां सभी ऋषि मुनि से लेकर विदेशी तक मेरा गुणगान करते हैं। मैं अनगिनत लेखकों की कलम से गंगा की अविरल धारा की तरह बहा तो शिव की जटा से निकली गंगा की तरह मेरा नाम विश्व के हर कोने तक फैला हुआ है। मैं तपस्थली हूं पर मेरा स्वरुप आज इस आधुनिक युग में भी परिवर्तित नहीं हुआ है। मेरा अस्तित्व बरकरार है।

Jul 20,2015, 10:21 AM IST

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