सस्ता हो जाएगा पेट्रोल-डीजल, इन 4 तरीकों से मोदी सरकार दे सकती है राहत
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सस्ता हो जाएगा पेट्रोल-डीजल, इन 4 तरीकों से मोदी सरकार दे सकती है राहत

पेट्रोल-डीजल सस्ता हो रहा है. लगातार इसके दाम में कटौती हो रही है. लेकिन, यह कटौती मामूली है.

सस्ता हो जाएगा पेट्रोल-डीजल, इन 4 तरीकों से मोदी सरकार दे सकती है राहत

नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल सस्ता हो रहा है. लगातार इसके दाम में कटौती हो रही है. लेकिन, यह कटौती मामूली है. क्योंकि, पिछले एक महीने में पेट्रोल-डीजल 4 रुपए तक महंगा हुआ था और कटौती के नाम पर सिर्फ 60 पैसे की कटौती हुई है. दाम बढ़ने से देशभर में मची हाय-तौबा के बाद सरकार ने इस पर लगाम लगाने के विकल्प तलाशने शुरू किए. हालांकि, इस पर एक्साइज ड्यूटी घटाने से इनकार कर दिया. सरकार अब लंबी अवधि के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों को स्थिर बनाने की योजना पर काम कर रही है. आम आदमी को बड़ी राहत देने के लिए सरकार के पास विकल्प हैं. लेकिन, अभी यह तय नहीं है कि कौन से विकल्प को सरकार अपनाएगी.

  1. पेट्रोल-डीजल को सस्ता करने पर सरकार ले सकती है फैसला
  2. पेट्रोल-डीजल को लेकर लंबी अवधि का विकल्प तलाश रही सरकार
  3. 4 विकल्पों से सरकार आम आदमी को बड़ी राहत दे सकती है

PM मोदी देंगे राहत
देश भर की जनता और विपक्ष की आलोचना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ बैठक की. चर्चा है कि इस बैठक में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लॉन्ग टर्म में कम करने को लेकर कुछ विकल्प पर चर्चा हुई. हालांकि, इनमें से किस विकल्प को सरकार चुनेगी यह अभी कहा नहीं जा सकता है. विकल्प कोई भी हो, अंतिम फैसला PMO को लेना है. वित्त मंत्रालय ने भी इस पर अपना सुझाव दिया है. वहीं, पेट्रोलियम मंत्री बार-बार इसे जीएसटी के दायरे में लाने की बात कर चुके हैं.

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पहला विकल्प GST
लंबे समय से मांग की जा रही है कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट को जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स के दायरे में लाया जाए. ट्रेड एसोसिएशन से लेकर तेल मंत्रालय तक इसकी सिफारिश कर चुका है. लेकिन, सरकार की ओर से अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट को जीएसटी में लाने के लिए कुछ राज्य राजी नहीं हैं. पिछले हफ्ते हुई एक बैठक में भी राज्यों ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमति नहीं दी. हालांकि, इस बीच पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कीमतों में कमी के लिए वैकल्पिक तरीके तलाशने को लेकर कंपनियों से बात की है. पेट्रोल और डीजल की रिटेल कीमत में तकरीबन आधा हिस्सा टैक्स का है. ऐसे में अगर इसे जीएसटी में लाया जाएगा तो इसकी कीमतों में बड़ी कटौती हो सकती है.

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दूसरा विकल्प विंडफॉल टैक्स
कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने पर तेल कंपनियों को अच्छा खास मुनाफा होता है. दरअसल, देश में कुल 20 फीसदी क्रूड ऑयल की सप्लाई करने वाली ओएनजीसी को क्रूड की कीमतों में उछाल से विंडफॉल गेन हुआ. ऐसे में सरकार के पास ऑप्शन है कि वह कंपनी से कम दाम पर रिटेलर्स को तेल बेचने के लिए कह सके. हालांकि, इससे कंपनी के मार्जिन पर असर पड़ सकता है. लेकिन, सरकार इसके बदले कंपनी से कम लाभांश लेने पर विचार कर सकती है. ऐसे में सरकार तेल कंपनी पर विंडफॉल टैक्स लगा सकती है, जिससे क्रूड की कीमतों पर एक तय सीमा के बेचने पर टैक्स चुकाना होगा.

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तीसरा विकल्प फ्यूचर ट्रेडिंग
भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज में पेट्रोल-डीजल के फ्यूचर लॉन्च करने को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मंजूरी दे चुके हैं. हालांकि, अभी सेबी की मंजूरी मिलना बाकी है. अगर सेबी की मंजूरी मिल जाती है तो पेट्रोल-डीजल फ्यूचर लॉन्च किया जा सकता है. पेट्रोलियम फ्यूचर लॉन्च होने पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ी कटौती देखने को मिल सकती है. कमोडिटी एक्सचेंज ने भी इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि, सेबी से मंजूरी कब तक मिलेगी अभी कहा नहीं जा सकता.

चौथा विकल्प कच्चे तेल में छूट
पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों का संगठन ओपेक, पश्चिमी देशों के खरीदारों के मुकाबले भारत को ऊंची दर पर तेल बेचता है. एशियाई देशों में इसे एशियन प्रीमियम कहा जाता है. मोदी सरकार दूसरे निर्यातक देशों (नॉन ओपेक देश) से क्रूड खरीदने पर विचार कर रही है. उम्मीद है कि दूसरे देशों से उसे सस्ते में कच्चा तेल मिल सकता है. वहीं, कच्चे तेल की कीमतों में करेक्शन से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती होगी. सस्ता कच्चा तेल मिलने से सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम कर सकती है. तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से सरकार ने सिर्फ एक साल वित्त वर्ष 2016-17 में 2.7 लाख करोड़ रुपए टैक्स के जरिए जुटाया था.

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