सायरस मिस्त्री को अचानक टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद अंतरिम चेयरमैन पद की जिम्मेदारी संभालने वाले रतन टाटा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अपने कर्मचारियों को खत लिखा है। उन्होंने खत में लिखा है कि ग्रुप की स्थिरता और उसमें भरोसा बढ़ाने के लिए उन्होंने खुद जिम्मेदारी संभाली है।
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नई दिल्ली: सायरस मिस्त्री को अचानक टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद अंतरिम चेयरमैन पद की जिम्मेदारी संभालने वाले रतन टाटा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अपने कर्मचारियों को खत लिखा है। उन्होंने खत में लिखा है कि ग्रुप की स्थिरता और उसमें भरोसा बढ़ाने के लिए उन्होंने खुद जिम्मेदारी संभाली है।
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(साभार: ट्वीटर)
इस पत्र में टाटा ने कहा कि टाटा संस के निदेशक मंडल ने सोमवार को एक बैठक में सायरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया गया है। अब एक नए मैनेजमेंट की व्यवस्था की गई है और टाटा संस के नए चेयरमैन की पहचान करने के लिए एक समिति का भी गठन किया गया है।' उन्होंने कहा है 'समिति को इस काम के लिए चार महीने का समय दिया गया है। इस दौरान मैनेजमेंट ने मुझसे कंपनी के चेयरमैन पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा है और मैं टाटा समूह की स्थिरता एवं उसके प्रति विश्वास को बनाए रखने के लिए यह जिम्मेदारी उठाने को तैयार हूं।' रतन टाटा इससे पहले 1991 से 2012 तक कंपनी के 21 साल तक चेयरमैन रहे हैं।
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गौर हो कि सायरस मिस्त्री को वर्ष 2011 में कंपनी में चेयरमैन रतन टाटा का उत्तराधिकारी चुना गया था और उन्हें पहले डिप्टी चेयरमैन बनाया गया। मिस्त्री ने रतन टाटा के 75 वर्ष की आयु पूरी करने पर उनकी सेवानिवृत्त के बाद 29 दिसंबर 2012 को चेयरमैन का पद भार संभाला था। मिस्त्री ने चार साल पहले इस विशाल कंपनी समूह के मुखिया का पद रतन टाटा से ही संभाला था। वह 15 दशकों से काम कर रही इस कंपनी के छठे चेयरमैन बने थे। उनका कार्यकाल सबसे कम रहा है। मिस्त्री की पारिवारिक कंपनी शापूरजी पालोनजी की टाटा समूह में 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि 66 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा परिवार से जुड़े ट्रस्टों के पास है।