विजय माल्या के वकीलों ने कोर्ट में कहा, CBI का इतिहास राजनीति से जुड़ा रहा है
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विजय माल्या के वकीलों ने कोर्ट में कहा, CBI का इतिहास राजनीति से जुड़ा रहा है

यह मामला माल्या की पूर्व कंपनी किंगिफशर एयरलाइंस द्वारा बैंकों के समूह से लिये गये करीब 2,000 करोड़ रुपये के कर्ज पर केंद्रित है.

सुनवाई के लिए लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट पहुंचे विजय माल्या. (Reuters/5 Dec, 2017)

लंदन: शराब कारोबारी विजय माल्या के वकीलों ने ब्रिटेन की अदालत में प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई के दूसरे दिन मंगलवार (5 दिसंबर) को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रत्यर्पण निदेशालय (ईडी) पर निशाना साधा. वेस्टमिंस्टर की मजिस्ट्रेट अदालत में जारी सुनवाई के दौरान उनके वकीलों ने कहा कि सीबीआई और ईडी का राजनीति से प्रेरित होने का इतिहास रहा है. माल्या की वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने न्यायाधीश एम्मा अर्बुथनॉट को बताया कि सीबीआई अदालत में लाये मामलों में राजनीति से प्रेरित होने के लिए जानी जाती रही है. यह भी संयोग नहीं हो सकता है कि भारत में चुनाव के साल के दौरान माल्या पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप अधिक मुखर हुए.

  1. माल्या पर भारत में धोखाधड़ी तथा मनी लांड्रिंग का केस है.
  2. माल्या के ऊपर भारतीय बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कर्ज है. 
  3. विजय माल्या मार्च 2016 में भारत से भागकर ब्रिटेन चले गए थे.

उन्होंने सीबीआई पर राजनीतिक आकाओं से समय-समय पर प्रभावित होने का आरोप लगाते हुए कहा कि ईडी के बारे में भी ऐसा कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस मामले में भी साक्ष्यों का राजनीतिकरण किया गया है. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस एवं शिवसेना समेत अन्य पार्टियों ने भी इस मामले को राजनीतिक फायदे के अवसर की तरह इस्तेमाल किया. उल्लेखनीय है कि माल्या के खिलाफ प्रत्यर्पण मामले की ब्रिटेन की अदालत में सोमवार (4 दिसंबर) से सुनवाई शुरू हुई है. सोमवार को भारत सरकार के वकीलों ने अपना पक्ष रखा था.

पहले दिन मामले में सुनवाई शुरू करते हुये भारत सरकार की तरफ से पैरवी कर रही क्राउन प्रोस्क्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने अपनी दलीलें रखी थीं. यह मामला माल्या की पूर्व कंपनी किंगिफशर एयरलाइंस द्वारा बैंकों के समूह से लिये गये करीब 2,000 करोड़ रुपये के कर्ज पर केंद्रित रहा. सीपीएस ने स्वीकार किया कि बैंकों द्वारा कर्ज की मंजूरी देते समय आंतरिक प्रक्रियाओं में हो सकता है कुछ अनियमितताएं रही हों, लेकिन इस मुद्दे से भारत में बाद में निपटा जाएगा.

वकील मार्क समर्स ने कहा था, ‘मामले में जोर माल्या के आचरण तथा बैंकों को गुमराह करने एवं कर्ज राशि के दुरुपयोग पर है.’ उन्होंने मामले में पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताया. इसमें नवंबर 2009 में किंगिफशर एयरलाइंस द्वारा आईडीबीआई बैंक से मांगे गये कर्ज पर विशेष जोर था.

माल्या खुद ही मार्च 2016 से भारत से बाहर ब्रिटेन में रह रहे हैं. उन पर उनकी बंद हो चुकी विमानन कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा कई भारतीय बैंकों का ऋण जानबूझकर नहीं चुकाने का आरोप है. उन पर कुल 9,000 करोड़ रुपये का बकाया है. प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई में पीठासीन न्यायाधीश एम्मा लुइस अर्बथनॉट हैं. यह सुनवाई 14 दिसंबर तक चलेगी. इसमें छह और आठ दिसंबर को छुट्टी रहेगी. 

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