इन वजहों से यूरोप में सफल रहा करेंसी चेंज
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इन वजहों से यूरोप में सफल रहा करेंसी चेंज

भारत फिलहाल नोटबंदी के दौर से गुज़र रहा है। देश की अर्थव्यवस्था से 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद कर 500 और 2000 के नए नोट बाज़ार में उतारे गए हैं। बैंकों और एटीएम मशीनों के सामने लंबी-लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। कुछ जानकारों का मानना है कि सरकार ने बिना किसी तैयारी के नोटबंदी की घोषणा कर दी, तो कुछ कह रहे हैं इतनी अधिक जनसंख्या वाले देश में कतारें लगना लाज़मी है।

फाइल फोटो: प्रतीकात्‍मक तौर पर

नई दिल्‍ली : भारत फिलहाल नोटबंदी के दौर से गुज़र रहा है। देश की अर्थव्यवस्था से 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद कर 500 और 2000 के नए नोट बाज़ार में उतारे गए हैं। बैंकों और एटीएम मशीनों के सामने लंबी-लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। कुछ जानकारों का मानना है कि सरकार ने बिना किसी तैयारी के नोटबंदी की घोषणा कर दी, तो कुछ कह रहे हैं इतनी अधिक जनसंख्या वाले देश में कतारें लगना लाज़मी है।

ऐसा नहीं है कि नोटबंदी दुनिया के अन्य देशों में नहीं हुई है। इससे पहले भी भारत समेत दुनिया के कई देश नोटबंदी कर अपने देश की अर्थव्यवस्था से ब्लैक मनी को खत्म करने का प्रयास कर चुके हैं। किसी को सफलता मिली, तो किसी को हुआ भारी नुकसान लेकिन साल 2002 में यूरोप में शुरू हुए करेंसी चेंज की कहानी कुछ अनोखी है। हालांकि यूरोप और भारत के हालात पूरी तरह से अलग हैं लेकिन ग्यारह देशों में एक साथ करेंसी चेंज करके यूरोप ने तैयारियों का एक उच्चस्तरीय पैमाना तय कर दिया जिसकी शायद भारत को भी ज़रूरत थी।

तीन साल पहले से शुरू कर दी थी तैयारी

यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने करेंसी चेंज करने की तैयारियां साल 1998 के मध्य से ही शुरू कर दी थीं। कॉमन करेंसी एक्सेप्ट करने जा रहे सभी 11 देशों के लोगों को नए नोटों की जानकारी पहले से थी। करेंसी चेंज की तारीख से तकरीबन तीन महीने पहले से ही बैंकों को नए नोटों और नए सिक्कों से भरना शुरू कर दिया गया था।

एटीएम में भी किए गए थे बदलाव

भारत में नोटबंदी के महीने भर बाद भी बहुत सी एटीएम मशीनों में अभी तक नई करेंसी के नोट नहीं डाले गये हैं। यूरोप में उस दौरान पहले से ही लगभग सभी एटीएम मशीनों में पहले से ही नए नोट डालने की व्यवस्था कर दी गई थी ताकि 1 जनवरी 2002 को आधी रात से ही एटीएम मशीनों से नए नोटों की डिलिवरी शुरू की जा सके।

नई करेंसी के बाद भी चलते रहे पुराने नोट

1 जनवरी 2002 को नई करेंसी अर्थव्यवस्था में आने के बाद भी कुछ देशों ने अगले दो महीनों तक पुरानी करेंसी की मान्यता रद्द नहीं की जिससे लोगों को किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े।

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