वित्त मंत्रालय ने इस वर्ष की शुरुआत में 11,336 करोड़ रुपये की पूंजी सरकारी क्षेत्र के पांच बैंकों में डाली थी.
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नई दिल्ली: पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माइक्रो, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को गति देने के लिये एक घंटे से भी कम समय में एक करोड़ रुपये तक कर्ज, श्रम एवं पर्यावरण कानून में छूट जैसे उपायों की घोषणा की थी. इसे गति देने के लिए वित्त मंत्रालय सरकारी बैंकों को पैसा देगा ताकि इस लोन स्कीम को गति मिल सके.
वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पिछली तिमाही के नतीजों को देखने के बाद उनको नई पूंजी उपलब्ध कराने के दूसरे चरण के कार्यक्रम को इस महीने के अंत तक तय कर सकता है. नई पूंजी मिलने से इन बैंकों को खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों को और अधिक ऋण साहयता देने में मदद मिलेगी.
सूत्रों ने कहा कि एक-दो बैंकों को छोड़कर बैंकों को दूसरी तिमाही के नतीजे इस सप्ताह आएंगे और उसके बाद मंत्रालय उनके साथ बातचीत शुरू करेगा. बैंकों की जरूरत का आकलन करने के बाद मंत्रालय नवंबर अंत या अगले महीने के पहले सप्ताह तक 54,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने के कार्यक्रम को अंतिम रूप दे सकता है. मंत्रालय ने इस वर्ष की शुरुआत में 11,336 करोड़ रुपये की पूंजी सार्वजनिक क्षेत्र के पांच बैंकों में डाली थी.
नीरव मोदी घोटाले से प्रभावित पंजाब नेशनल बैंक को सर्वाधिक 2,816 करोड़ रुपये मिले जबकि इलाहबाद बैंक को 1,790 करोड़ रुपए मिले. इसके अलावा आंध्रा बैंक को 2,019 करोड़ रुपये, इंडियन ओवरसीज बैंक को 2,157 करोड़ रुपये तथा कारपोरेशन बैंक को 2,555 करोड़ रुपये मिले. यह पूंजीकरण दो वर्ष में सरकारी बैंकों को 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने के कार्यक्रम का हिस्सा है. इसमें से अभी 65,000 करोड़ रुपये की पूंजी और उपलब्ध कराई जानी है. सरकार ने पिछले वर्ष अक्टूबर में बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये डाले जाने की घोषणा की थी.