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नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने भारतीय रोजगार बाजार में स्त्री-पुरुष असमानता या लैंगिक अंतर को अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक बताते हुए श्रम बल में बड़ी संख्या में महिलाओं को शामिल करने पर जोर दिया। मुद्राकोष ने इसके लिए बुनियादी ढांचे में निवेश और सामाजिक खर्च बढ़ाने की वकालत की है।
उल्लेखनीय है कि आईएमएफ ने हाल ही में एक अध्ययन में कहा था कि श्रमबल में महिलाओं की संख्या को पुरुषों की संख्या के समान किया जाए तो भारत की जीडीपी 27 फीसदी बढ़ सकती है। श्रम बल में स्त्री-पुरुष समानता के सकारात्मक असर के लिहाज से सबसे अधिक फायदा भारत को होगा।
आईएमएफ के एशिया और प्रशांत विभाग में उपनिदेशक कल्पना कोचर ने कहा, 'इस अध्ययन में श्रम बल में स्त्री-पुरुष असमानता को समाप्त किए जाने से जीडीपी को होने वाले फायदों का ज्रिक किया गया है। श्रम बल भागीदारी में लैंगिक असमानता या स्त्री पुरुष श्रमिकों की संख्या में अंतर भारत में अन्य प्रमुख देशों की तुलना में कहीं अधिक है।'
उन्होंने कहा, 'भारत में यह अंतर लगभग 50 फीसदी है जबकि ओईसीडी देशों में औसत अंतर 12 फीसदी है। चूंकि भारत में यह अंतर बड़ा है इसलिए भारत के लिए इसे मिटाने से होने वाला फायदा भी अन्य देशों की तुलना में अधिक होगा।'