एयर इंडिया पर कितना कर्ज है? कंपनी के चीफ ने किसको ठहराया जिम्मेदार?
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एयर इंडिया पर कितना कर्ज है? कंपनी के चीफ ने किसको ठहराया जिम्मेदार?

एयर इंडिया प्रमुख अश्विनी लोहानी ने कहा कि कंपनी पर 48,000 करोड़ रुपये के कर्ज ऐसा ऋण है जिसे पार पाना मुश्किल है. उन्होंने एयरलाइंस की संकटपूर्ण वित्तीय स्थिति के लिये पूर्व संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराया. लोहानी ने यह बात रविवार को फेसबुक पर लिखी. उन्होंने महाराजा की खराब होती स्थिति के लिये कंपनी तथा उसके कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराने वाले उन लोगों को भी आड़े हाथ लिया जो एयर कंडीशन कमरे में बैठककर आलोचना करते हैं.

एयर इंडिया की खराब वित्तीय स्थिति के लिये पूर्व सरकार के दोनों संगठनों के विलय समेत अन्य गलत निर्णय जिम्मेदार है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : एयर इंडिया प्रमुख अश्विनी लोहानी ने कहा कि कंपनी पर 48,000 करोड़ रुपये के कर्ज ऐसा ऋण है जिसे पार पाना मुश्किल है. उन्होंने एयरलाइंस की संकटपूर्ण वित्तीय स्थिति के लिये पूर्व संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराया. लोहानी ने यह बात रविवार को फेसबुक पर लिखी. उन्होंने महाराजा की खराब होती स्थिति के लिये कंपनी तथा उसके कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराने वाले उन लोगों को भी आड़े हाथ लिया जो एयर कंडीशन कमरे में बैठककर आलोचना करते हैं.

कंपनी पर कर्ज इतना अधिक है जिसे पार पाना मुश्किल

लोहानी ने लिखा है, ‘एयर इंडिया की खराब वित्तीय स्थिति के लिये पूर्व सरकार के दोनों संगठनों के विलय समेत अन्य गलत निर्णय जिम्मेदार है..इसके साथ कंपनी पर कर्ज इतना अधिक है जिसे पार पाना मुश्किल है और यह यह सभी समस्या का कारण है...’ एयर इंडिया को 10 साल की अवधि के लिये 30,000 करोड़ रुपये का पैकेज दिया जा रहा है जिसके आधार पर कंपनी चल रही है. एयरलाइंस वित्तीय स्थिति में सुधार के लिये दूसरे उपायों पर भी काम कर रही है.

पिछले वित्त वर्ष में एयर इंडिया 105 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था

पिछले वित्त वर्ष में एयर इंडिया ने ईंधन की कम लागत तथा यात्रियों की संख्या में वृद्धि से 105 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था. फिलहाल एयरलाइंस के उपर 48,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. इसमें से करीब एक तिहाई कर्ज का कारण विमान का अधिग्रहण है. 19 बैंकों के समूह ने एयर इंडिया को कर्ज दिया है.

एयरलाइंस की खराब वित्तीय परिदृश्य को रेखांकित करते हुए लोहानी ने कहा, ‘यह उन लोगों के लिये मुद्दे की समझ की कमी का संकेत देता है जो एयर कंडीशन कमरे में बैठकर कंपनी की खराब स्थिति के लिये एयरलाइंस या उसके कर्मचारियों को दोष देते हैं.’ उन्होंने यह भी कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर कुप्रबंधन से भी कंपनी की स्थिति बदतर हुई है.

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