भारत करेगा 123 हंटर हेलीकॉप्टर का निर्माण, समुद्र में चीन की पनडुब्बियों के लिए बनेगा खतरा!
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भारत करेगा 123 हंटर हेलीकॉप्टर का निर्माण, समुद्र में चीन की पनडुब्बियों के लिए बनेगा खतरा!

 एमएच-60 ‘रोमियो' एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर का पनडुब्बियों पर निशाना अचूक होता है. 

रोमियो सबसे एडवांस एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर माना जाता है...(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भारत ने अपनी नौसेना को मजबूत करने के लिए अमेरिका से 24 एमएच-60 ‘रोमियो' पनडुब्बी-रोधी हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए पिछले हफ्ते डील की है. समुंदर पर चीन की बढ़ती ताकत के बीच पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से भारत को इस तरह के हंटर हेलीकॉप्टर की जरुरत है. यह सौदा करीब 2 अरब डॉलर का होगा लेकिन इस डील की एक खास बात यह है कि भारत खुद 123 एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर का निर्माण करेगा. 

पनडुब्बियों पर अचूक निशाना होता है रोमियो का 
रोमियो अमेरिका का सबसे एडवांस एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर माना जाता है. पनडुब्बियों पर इसका निशाना अचूक होता है. दुनिया के कुछ अन्य देशों के पास भी एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर हैं लेकिन समंदर में चीन की बड़ी चुनौती को देखते हुए भारत के लिए अमेरिकी एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर रोमियो मुफीद माना जा रहा है. ऐसे में एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर हासिल करना बहुत जरूरी हो गया है.

भारतीय नौ सेना के लिए होगा मददगार 'रोमियो'
एमएच 60 रोमियो सी-हॉक हेलीकॉप्टर अमेरिकी नेवी के बेड़े में शामिल है. इसे दुनिया के सबसे अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर के रूप में जाना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस हेलीकॉप्टर को जहाज, युद्धपोत और विमान वाहक पोत से ऑपरेट किया जा सकता है. हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए भारत को इसकी तत्काल जरूरत है.

टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर भारत का जोर 
पिछले हफ्ते भारत ने रूस से वॉरशिप के निर्माण की एक डील की है. इस डील के तहत रूस गोवा में दो युद्धपोतों का निर्माण भारत के सहयोग से करेगा. भारत ने इसके साथ ही रूस से इस युद्धपोत के डिजाइन, टेक्नोलॉजी और अन्य निर्माण सामग्री के लिए समझौता किया है. ये युद्धपोत अत्याधुनिक मिसाइलें से लैस होंगे. युद्धपोतों का निर्माण 2020 में शुरू होगा और पहला जहाज 2026 में जलावतरण के लिए तैयार होगा, वहीं दूसरा 2027 तक तैयार होगा.

भारत टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर खासा जोर दे रहा है. पिछले कई मामलों में भारत की यह रणनीति सामने आई है. भारतीय रेलवे ने भी जापान को प्रस्ताव दिया है कि वह बुलेट ट्रेन के डिब्बों को स्थानीय स्तर पर तैयार करने के लिए टेक्नोलॉजी सहायता उपलब्ध कराए. रेलवे का कहना है कि एक बार कोच तैयार करने के बाद कम लागत पर वह डिब्बों का निर्माण करके पूरी दुनिया में सबसे सस्ते कोच तैयार कर सकते हैं. 

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