Indian Bank: बकाया कर्ज पर बड़ा अपडेट, 6 भारतीय बैंकों का कमाल, ब्रिटेन में कारनामा
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Indian Bank: बकाया कर्ज पर बड़ा अपडेट, 6 भारतीय बैंकों का कमाल, ब्रिटेन में कारनामा

Debt: भारतीय बैंकों की ओर से लंदन में एक अहम मामला जीत लिया गया है. इनमें 6 बैंक शामिल हैं, जिन्होंने बकाया कर्ज का मामला जीता है. इसको लिए अब अपडेट भी सामने आया है. आइए जानते हैं इसके बारे में...

Indian Bank: बकाया कर्ज पर बड़ा अपडेट, 6 भारतीय बैंकों का कमाल, ब्रिटेन में कारनामा

Loan: आज के दौर में बैंकों का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. लोगों के एक से ज्यादा बैंक अकाउंट भी हैं. वहीं अब बैंक से जुड़ा अहम मामला सामने आया है. इसके तहत भारतीय बैंकों ने बकाया कर्ज की वसूली का मामला लंदन हाई कोर्ट में जीत लिया है. छह भारतीय बैंकों ने जीवीके कोल डेवलपर्स (सिंगापुर) प्राइवेट लिमिटेड और संबद्ध कंपनियों से दो अरब डॉलर (ब्याज सहित) के बकाया कर्ज की वसूली का मामला लंदन हाई कोर्ट में जीत लिया है.

मामले की सुनवाई

न्यायाधीश डेम क्लेयर मोल्डर ने बैंक ऑफ बड़ौदा और अन्य के जरिए लाए गए मामले की सुनवाई के लिए पिछले महीने वाणिज्यिक न्यायालय खंड में मुकदमे की अध्यक्षता की और 19 अक्टूबर को एक अनुमोदित फैसले में निष्कर्ष निकाला कि बैंकों ने ‘अपने मामले को अपेक्षित मानक के अनुरूप बनाया.’ बैंकों का प्रतिनिधित्व अंतरराष्ट्रीय विधि फर्म रीड स्मिथ ने की. जिन्होंने 39 एसेक्स चैंबर्स लंदन की अधिवक्ता करिश्मा वोरा को मामले पर बहस करने का निर्देश दिया.

ऐतिहासिक जीत

वोरा और रीड स्मिथ के गौतम भट्टाचार्य ने एक संयुक्त बयान में कहा, “हमें खुशी है कि हमने अपने भारतीय बैंकिंग ग्राहकों के लिए ऐसे व्यावसायिक महत्व के मामले में इतनी शानदार और ऐतिहासिक जीत हासिल की है.” बैंक ऑफ बड़ौदा (इसकी रास अल खैमा शाखा) के अलावा, अन्य दावेदारों में केनरा बैंक (लंदन शाखा), आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड (इसकी बहरीन, दुबई और ऑफ-शोर बैंकिंग शाखाएं), इंडियन ओवरसीज बैंक (कॉर्पोरेट शाखा, भारत) और एक्सिस बैंक लिमिटेड हैं.

बैंकों का तर्क 

यह मामला 2011 और 2014 का है जब जीवीके कोल डेवलपर्स को लोन सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं, जिसके बारे में बैंकों का तर्क था कि यह काफी समय से लंबित था. फैसले में इस तथ्य पर भी ध्यान दिया गया है कि स्थगन आवेदन खारिज होने के बाद कंपनी का अदालत में प्रतिनिधित्व नहीं किया गया था. अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, बैंक लंदन उच्च न्यायालय में इस मामले को 2020 से आगे बढ़ा रहे थे. (इनपुट: भाषा)

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