PM ने किया कृषि, ऊर्जा, दूध, मछली क्षेत्र में क्रांति का आह्वान
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PM ने किया कृषि, ऊर्जा, दूध, मछली क्षेत्र में क्रांति का आह्वान

देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कृषि, उर्जा, डेयरी और मछली पालन क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिये क्रमश: हरित, केसरिया, सफेद और नीली - चार क्रांतियों का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने उनकी सलाह को गंभीरता से लेने के लिए किसानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि चालू खरीफ सत्र में दलहन और तिलहन की बुवाई रिकार्ड स्तर को छू गई है। 

PM ने किया कृषि, ऊर्जा, दूध, मछली क्षेत्र में क्रांति का आह्वान

पटना : देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कृषि, उर्जा, डेयरी और मछली पालन क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिये क्रमश: हरित, केसरिया, सफेद और नीली - चार क्रांतियों का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने उनकी सलाह को गंभीरता से लेने के लिए किसानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि चालू खरीफ सत्र में दलहन और तिलहन की बुवाई रिकार्ड स्तर को छू गई है। 

प्रधानमंत्री ने यहां प्रमुख कृषि शोध संस्थान आईसीएआर के 87वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में कृषि विज्ञानियों और प्रगतिशील किसानों को संबोधित करते हुये कहा कि वे सुनिश्चित करें कि भविष्य में देश को किसी भी कृषि जिंस का आयात करने की आवश्यकता नहीं हो। उन्होंने प्रति हेक्टेयर फसल की उपज बढ़ाने की जररत पर जोर दिया और कृषि क्षेत्र में होने वाली बर्बादी पर चिंता जताई। उन्होंने किसानों की आय को बढ़ाने के लिए खाद्य प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन पर भी जोर दिया।

मोदी ने चार क्षेत्रों में क्रांति के लिए हरा, केसरिया, सफेद और नीले रंगों का नाम लेते हुए कहा, 'हमारा तिरंगा झंडा है। उसमें बीच में एक नीला चक्र है। मेरा विश्वास है कि देश में इन क्षेत्रों में क्रांति की आवश्यकता है।' उन्होंने कहा, 'एक केसरिया क्रांति है। अलग-अलग लोगों के लिए केसरिया क्रांति का अलग-अलग मतलब हो सकता है। लेकिन ऊर्जा का रंग केसरिया है। ऊर्जा क्रांति की बहुत आवश्यकता है।' 

उन्होंने कहा कि मूल्यवर्धित खाद्य उत्पादों के विनिर्माण के लिए बिजली जरूरी है। पहले, हमें बिजली की आवश्यकता है। तभी वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी मददगार साबित हो सकती है। मोदी ने अफसोस जताया कि इतना बड़ा राज्य होने के बावजूद बिहार केवल 250 से 300 मेगावाट बिजली ही पैदा करता है। उन्होंने कहा, 'जब मैं भूटान गया, मैंने वहां पनबिजली ऊर्जा परियोजना को शुरू किया और इस परियोजना से ज्यादा बिजली बिहार को मिलेगी।

हरित क्रांति के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, 'पहली हरित क्रांति से हमें लाभ हुआ। लेकिन देश दूसरी हरित क्रांति का इंतजार नहीं कर सकता। पहले ही काफी देर हो चुकी है। हमें दूसरी हरित क्रांति के लिए योजना तैयार करने की आवश्यकता है।'
मोदी ने कहा कि दूसरी हरित क्रांति की प्राथमिकता पहली हरित क्रांति जैसी नहीं हो सकती क्योंकि पहली क्रांति का ध्येय खाद्यान्नों के मामले में आयात निर्भरता को कम करने पर केन्द्रित था।

उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि भारत की दूसरी हरित क्रांति बिहार, असम और पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में होगी। मैं इसे स्पष्ट देख पा रहा हूं। बिहार राज्य देश में कृषि क्रांति लायेगा। यह पहल आज यहां से हो गई है।' श्वेत क्रांति के बारे में मोदी ने कहा कि दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए डेयरी किसानों का आधुनिकीकरण करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि जितने दूध का उत्पादन हो रहा है वह पशुओं की संख्या की तुलना में कम है। हम किस तरह दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं? मवेशियों की संख्या बढ़ाने की कोई तुक नहीं है लेकिन दूध उत्पादकता को कैसे बढ़ाया जाये।.. हमें अपने डेयरी फार्मिग का आधुनिकीकरण करने की आवश्यकता है।' 

नीली क्रांति हासिल करने के लिए मत्स्य उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'बिहार में काफी पानी है लेकिन यह राज्य आंध्र प्रदेश से 400 करोड़ रुपये की मछली खरीदता है। दर्शनीय मछलियों का एक बड़ा वैश्विक बाजार है। अगर हम नीली क्रांति पर ध्यान देंगे तो इससे गांव के गरीब किसानों को लाभ होगा।' 

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