भारत के लिए एक और मुश्किल, श्रीलंका ने चीन को सौंपा हंबनटोटा बंदरगाह
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भारत के लिए एक और मुश्किल, श्रीलंका ने चीन को सौंपा हंबनटोटा बंदरगाह

श्रीलंका के तत्कालीन रक्षा मंत्री रवि करुणनायके ने पिछले साल कहा था कि श्रीलंका पर चीन का आठ अरब डॉलर कर्ज है.

पीएम विक्रमसिंघे ने कहा है कि चीनी सेना इस बंदरगाह का इस्तेमाल नहीं करेगी. (फाइल फोटो)

कोलंबो: श्रीलंका ने रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह को शनिवार (9 दिसंबर) को औपचारिक तौर पर चीन को 99 साल के पट्टे पर दिया है. अधिकारियों ने बताया कि चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग्स कंपनी द्वारा प्रबंधित हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप और हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट सर्विसेज तथा श्रीलंका पोर्ट्स् अथॉरिटी इस बंदरगाह तथा इसके आसपास के निवेश क्षेत्र को नियंत्रित करेंगे. श्रीलंका के तत्कालीन रक्षा मंत्री रवि करुणनायके ने पिछले साल कहा था कि श्रीलंका पर चीन का आठ अरब डॉलर कर्ज है.

  1. चीन को 99 साल के पट्टे पर मिला हंबनटोटा बंदरगाह.
  2. हिंद महासागर में चीन के ओबीओआर में अहम भूमिका निभाएगा हंबनटोटा.
  3. यह चीन और यूरोप को सड़क और बंदरगाह के माध्यम से जोड़ेगा.

मौजूदा प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में बंदरगाह का स्वामित्व हस्तांतरण समारोह में कहा, ‘‘इस करार के साथ हमने कर्ज लौटाना शुरू कर दिया है. हंबनटोटा हिंद महासागर में महत्वपूर्ण बंदरगाह के तौर पर उभरेगा.’’ विपक्ष इस करार को देश की संपत्ति बेचना करार दिया है.

हंबनटोटा बंदरगाह हिंद महासागर में चीन के 'वन बेल्ट वन रोड' पहल में प्रमुख भूमिका निभाएगा. यह चीन और यूरोप को सड़क और बंदरगाह के माध्यम से जोड़ेगा. इस सौदे के तहत बंदरगाह और उसके पास की 15,000 एकड़ के औद्योगिक जोन को 99 सालों के लिए चीन की एक सरकारी कंपनी को किराए पर दे दिया गया है. इस योजना के तहत हजारों गांव वालों को उजाड़ा जाएगा, लेकिन सरकार का कहना है कि उन्हें नई जमीन दी जाएगी. इस सौदे का श्रीलंका में कई महीनों से विरोध किया जा रहा था, क्योंकि उन्हें डर था कि बंदरगाह का इस्तेमाल चीनी सेना कर सकती है. हालांकि विक्रमसिंघे ने कहा है कि चीनी सेना इस बंदरगाह का इस्तेमाल नहीं करेगी. 

(इनपुट एजेंसी से भी)

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