ZEE जानकारीः Rupay के लगातार बढ़ते प्रभाव से Mastercard के छूटे पसीने
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ZEE जानकारीः Rupay के लगातार बढ़ते प्रभाव से Mastercard के छूटे पसीने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी दुनिया में Rupay कार्ड का ज़बरदस्त प्रचार कर रहे हैं. और इससे परेशान होकर मास्टरकार्ड ने डॉनल्ड ट्रंप की सरकार से शिकायत की है.

ZEE जानकारीः Rupay के लगातार बढ़ते प्रभाव से Mastercard के छूटे पसीने

DNA में अब हम पूरे देश को खुश करने वाली एक राष्ट्रवादी ख़बर का विश्लेषण करेंगे. ख़बर ये है कि अमेरिका की एक बड़ी कंपनी ने डॉनाल्ड ट्रंप की सरकार से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शिकायत की है. आप सोच रहे होंगे अगर कोई कंपनी हमारे देश के प्रधानमंत्री की शिकायत कर रही है, तो फिर उसमें हमारे लिए गर्व करने वाली क्या बात है? लेकिन ये शिकायत ऐसी है कि जिसे सुनकर आपको गर्व भी होगा और खुशी भी होगी. इस ख़बर को समझने के लिए आपको पहले इस कंपनी के बारे में जानना और समझना होगा. इस कंपनी का नाम है Mastercard.. अगर आप Debit और Credit Card का इस्तेमाल करते हैं, तो आपने अपने Card पर Mastercard या Visa लिखा हुआ देखा होगा. ये एक तरह की अंतर्राष्ट्रीय Digital Payment कंपनियां हैं. इसका मतलब ये है कि आप जब भी कोई Digital Transaction करते हैं, तो इन कंपनियों के Gateway के ज़रिए ही उसकी पेमेंट होती है. 

यानी कि डिजिटल Transaction भारतीय करते हैं और उसका कमीशन इन विदेशी कंपनियों को मिलता है. लेकिन इसके जवाब में भारत ने Rupay कार्ड निकाला है. जिससे इन कंपनियों का बिज़नेस खत्म हो रहा है. Rupay के लगातार बढ़ते प्रभाव की वजह से Mastercard के पसीने छूट रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी दुनिया में Rupay कार्ड का ज़बरदस्त प्रचार कर रहे हैं. और इससे परेशान होकर मास्टरकार्ड ने डॉनल्ड ट्रंप की सरकार से शिकायत की है. इस शिकायत का भावार्थ ये है कि Rupay को रोको, वर्ना मास्टरकार्ड बर्बाद हो जाएगा. 

Mastercard ने अमेरिकी सरकार से इसी वर्ष जून में शिकायत की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के अपने Payments Network RuPay को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रवाद का प्रयोग कर रहे हैं. और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्वदेशी और संरक्षणवादी नीतियों से विदेशी Payment कंपनियों को नुकसान हो रहा है. Mastercard ने 21 जून को United States Trade Representative यानी USTR के ऑफिस में ये शिकायत की, जिसमें उसने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने RuPay Card के इस्तेमाल को राष्ट्रीय सेवा और राष्ट्रवाद से जोड़ दिया है. 

इस शिकायत में ये भी कहा गया है कि भारत सरकार की नीतियों की वजह से भारत में अमेरिकी कंपनियों को संघर्ष करना पड़ रहा है. अब सवाल ये है कि Mastercard को समस्या क्या है? आखिर भारत के RuPay Card के बढ़ने से Mastercard को क्या नुकसान हो रहा है? सरकारी अनुमानों के मुताबिक अभी भारत में Cards के द्वारा एक साल में 6 लाख करोड़ रुपये के Digital Transactions होते हैं. और हर Transaction में ऐसी कार्ड कंपनियों का 1% का कमीशन होता है, यानी इस हिसाब से Visa, MasterCard और Rupay जैसे Digital Payments Network का कुल मार्केट 6 हज़ार करोड़ रुपये का है. 

और ऐसा अनुमान है कि आने वाले भविष्य में भारत में कार्ड Transactions 90 लाख करोड़ रुपये के हो जाएंगे. ज़ाहिर है ऐसी स्थिति में इन कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ जाएगा. यानी खरीदारी करेंगे आप और मुनाफा कमाएंगी Visa और MasterCard जैसी अमेरिकी कंपनियां. 

अभी भारत में करीब 102 करोड़ Debit और Credit Cards हैं. जिनमें से करीब 50 करोड़ RuPay Cards हैं. इस वजह से विदेशी कंपनियों की कमाई अभी से कम हो गई है. और आने वाले भविष्य में उन्हें और भी नुकसान हो सकता है. इसलिए ये कंपनियां डरी हुई हैं. 

RuPay करीब साढ़े 6 साल पहले मार्च 2012 में Launch हुआ था और उसने अपने Credit Cards का काम जून 2017 में ही शुरू किया था. यहां आपको ये भी पता होना चाहिए कि Rupay के इस्तेमाल का क्या फायदा है? RuPay हर Point of sale और ऑनलाइन खरीदारी के Transaction पर 90 पैसे का कमीशन लेता है. पेमेंट लेने के लिए जिस डिजिटल मशीन का इस्तेमाल किया जाता है उसे Point of sale कहते हैं. 

जबकि Visa और मास्टरकार्ड, ऐसे किसी Transaction पर औसतन 3 रुपये का कमीशन लेते हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्वजनिक तौर पर Rupay को खूब बढ़ावा दिया है. उनका तर्क ये है कि Rupay के इस्तेमाल से जो Transaction Fees ली जाएगी वो भारत में ही रहेगी, और उस पैसे से भारत में सड़कें, स्कूल और अस्पताल बनने में मदद मिलेगी. 

भारत में करीब 586 बैंक अपने ग्राहकों को RuPay Cards ही देते हैं. इनमें बड़े बैकों के अलावा, ग्रामीण और Co-operative Banks भी शामिल हैं. RuPay Cards की इस बड़ी सफलता के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक और बड़ी योजना का योगदान है. इस योजना का नाम है जनधन योजना. इस योजना के तहत गरीबों के बैंक खाते खुलवाए गये थे. अभी पूरे देश में करीब 30 करोड़ जनधन खाते हैं. और इनमें से करीब 24 करोड़ खाता धारकों के पास RuPay Cards हैं. हालांकि इनमें से सिर्फ 42% Cards ही Active हैं. और इसकी वजह ये है कि ये Cards ज्यादातर गरीब लोगों को बांटे गए हैं. 

इस वर्ष सितंबर में भारत में Debit और Credit Cards के Transactions करीब 74 हज़ार करोड़ रुपये के थे. जो पिछले साल इसी महीने की तुलना में 84% ज्यादा है. 2017 की तुलना में 2018 में ऑनलाइन शॉपिंग में RuPay कार्ड का इस्तेमाल 137% बढ़ गया है. 2017 में ऑनलाइन शॉपिंग में RuPay कार्ड से 5 हज़ार 934 करोड़ रुपये की खरीदारी हुई थी, जो 2018 में बढ़कर 16 हज़ार 600 करोड़ रुपये हो गई. इसीलिए ये विदेशी कंपनियां घबराई हुई हैं. और डॉनल्ड ट्रंप के पास जाकर अपना दुखड़ा रो रही हैं. 

वैसे इस ख़बर ने आज़ादी के उन दिनों की याद दिला दी, जब भारत में विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई थी. अंग्रेज़ भारत से कच्चा माल ले जाते थे, और फिर अपनी फैक्ट्रियों में उस माल से सामान बनाकर भारत में बेचते थे. इसके विरोध में भारत में लगातार स्वदेशी आंदोलन चले. 

1905 में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का एक बड़ा आंदोलन चला था. इस दौरान 1905 से 1910-11 के बीच भारत में ब्रिटिश कपड़ों और अन्य उद्योगों के व्यापार में काफी घाटा हुआ था. सितंबर 1906 में कोलकाता के कस्टम कमिश्नर ने एक गुप्त रिपोर्ट भेजी थी, जो 1905 में ब्रिटिश सामानों को हुए नुकसान के बारे में थी. इस रिपोर्ट में लिखा था ब्रिटेन से सूती कपड़ों का आयात 3 करोड़ गज कम हुआ हैइसी तरह से जूतों के आयात में 75% की कमी आई . और सिगरेट के आयात में 50% की गिरावट आई थी. 

इसी तरह जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए, तो एक बार फिर विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के आंदोलन चलने शुरू हो गए. 1921 में महात्मा गांधी की अपील पर असहयोग आंदोलन हुआ. असहयोग आंदोलन का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अहिंसक विरोध करना था. इस आंदोलन में गांधी जी ने लोगों ने स्वदेशी का प्रयोग करने की अपील की. देशभर में विदेशी कपड़े जलाए गए. और इसी के बाद खादी का उदय हुआ. आज़ादी के दौर के इन आंदोलनों का उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता थी. और आज भारत में बनी चीज़ों को इस्तेमाल करने का उद्देश्य मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है. 

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